लखनऊ : अब गुरुजनों को भी दिया गया प्रोजेक्ट वर्क, अक्तूबर से स्कूलों के शिक्षकों को देना होगा सहयोग
शिखा श्रीवास्तव--राज्य मुख्यालय विद्यार्थियों की तरह अब उनके गुरुजनों को भी प्रोजेक्ट वर्क करना होगा। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्रवक्ताओं को अब प्रोजेक्ट करना होगा। इसके लिए उन्हें किसी विषय पर चुन कर कार्ययोजना बनानी होगी और फिर इसके आधार पर उनका मूल्यांकन भी होगा। प्रदेश के डायट में 1200 से ज्यादा डायट प्रवक्ता हैं। पहली बार इन्हें प्रोजेक्ट आधारित काम दिया गया है।राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने आदेश जारी कर दिया है। डायट में डीएलएड प्रशिक्षण दिया जाता है लेकिन प्रवक्ता के उत्तरदायित्वों में प्राइमरी व जूनियर स्कूल के शिक्षकों को शैक्षिक रूप से सहयोग करना भी शामिल है। इस प्रोजेक्ट पर उन्हें अगले दो शैक्षिक सत्रों तक हर हफ्ते दो से तीन दिन देने होंगे। सभी प्रवक्ताओं को प्रेरणा फ्रेमवर्क के पर्यवेक्षक के रूप में भी काम करना होगा।प्रवक्ताओं को अपने जिले के कम से कम 10 स्कूलों का चयन करना होगा और उनके साथ काम करना होगा। इसके लिए व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया जाएगा। प्रवक्ताओं को हर हफ्ते अपने चयनित किसी एक स्कूल में जाना होगा और शिक्षकों के साथ पाठ योजना बनाने पर सहयोग देना होगा। वहीं हर दो महीने में प्रवक्ता अपने चयनित सभी स्कूलों में जाएंगे और वहां की शैक्षिक समस्याओं पर चर्चा करेंगे। शैक्षणिक सत्र के अंत में प्रवक्ता द्वारा चयनित दस स्कूलों के रिजल्ट की तुलना अन्य स्कूलों से की जाएगी। यह तुलनात्मक अध्ययन एससीईआरटी को भी उपलब्ध कराई जाएगी। सितंबर के अंत तक इस काम के लिए प्रवक्ताओं का ऑनलाइन प्रशिक्षण होगा और इन्हें स्कूलों के साथ अक्टूबर से काम शुरू करना होगा।