लखनऊ : यूपी फर्जी बोर्ड की मार्कशीट पर नौकरी करते पकड़े गए 4 और शिक्षक
आशीष त्रिपाठी,लखनऊ | राजधानी लखनऊ के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में चार और शिक्षक फर्जी बोर्ड की मार्कशीट के सहारे नौकरी करने को दोषी पाए गए हैं। ये सभी फर्जी शिक्षा बोर्ड हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरियां कर रहे थे। शासन के निर्देशों पर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के स्तर पर शुरू की गई जांच में इसका खुलासा हुआ है। इन सभी को नोटिस जारी कर दिया गया है।इन्हें 15 अक्तूबर को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है।बता दें, बीते सितम्बर माह में भी राजधानी के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में भी इसी फर्जी शिक्षा बोर्ड की मार्कशीट के आधार पर तीन शिक्षकों को नौकरी करने का दोषी पाया गया है। अब यह संख्या बढ़कर सात हो गई है।
इनको जारी किया गया है नोटिस
डीआईओएस कार्यालय की जांच में अब चार शिक्षक पकड़े गए हैं। इसमें, रामाधीन सिंह इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत एक महिला शिक्षका के प्रमाण पत्रों में उत्तमा (साहित्य) द्वितीय खण्ड का अंकपत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का पाया गया है।इसी तरह, मुमताज इंटर कॉलेज के एक और सेंटीनियल इंटर कॉलेज के एक सहायक शिक्षक का उत्तमा (साहित्य रत्न तृतीय खण्ड) का अंक पत्र भी इसी फर्जी शिक्षा बोर्ड हिन्दी साहित्य सम्मेलन का पाया गया है।वहीं, जनता इंटर कॉलेज की एक शिक्षिका के प्रमाण पत्र भी इसी फर्जी शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी किए गए हैं। हैरानी की बात है कि इनमें से कुछ तो माध्यमिक शिक्षक संघ के सक्रिय सदस्य भी हैं। विभाग पर गड़बड़ी के आरोप लगातर आंदोलनों में शामिल होते रहे हैं।डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि इन सभी को नोटिस जारी कर दिया गया है। 15 अक्तूबर को इन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है। इसके बाद ही नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी दस्तावेज वालों की संख्या बढ़ने के आसार
राजधानी के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बीते कुछ वर्षों में लगातार फर्जी नियुक्तियों के आरोप लगते रहे हैं। जानकारों की मानें तो, प्रबंधनों की मिली भगत पर बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरियां बांटी गई हैं। इसमें, कई बड़े नाम सामने आने की उम्मीद जताई जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट तक ने बताया अमान्य
हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद एक फर्जी शिक्षा बोर्ड है। इसके नाम पर जालसाज कई वर्षों से मार्कशीट बांटते आए हैं। यह पहली बार नहीं है जब हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद की मार्कशीट को लेकर विवाद उठा।कई प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने अपने फैसलों में हिंदी साहित्य सम्मेलन को अमान्य संस्था बताया। वर्ष 2010 के राजस्थान प्रदेश विद्या समिति के एक प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद एक अन्य संस्था है जो किसी प्रकार की शिक्षा नहीं देती है।