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फतेहपुर : कमीशन के खेल में उलझ गई बच्चों की यूनिफॉर्म, एसएमसी व ठेकेदारों की मिलीभगत से हो रहा खेल, 74 फीसदी ही वितरित हो पाईं यूनिफार्म।

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फतेहपुर : कमीशन के खेल में उलझ गई बच्चों की यूनिफॉर्म, एसएमसी व ठेकेदारों की मिलीभगत से हो रहा खेल, 74 फीसदी ही वितरित हो पाईं यूनिफार्म।

फतेहपुर : बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को निःशुल्क दी जाने वाली यूनिफार्म का वितरण अभी तक 74 फीसदी ही हो पाया है। जबकि वितरण की अंतिम तिथि 30 सितम्बर निर्धारित थी। वहीं यूनिफार्म तैयार करने में भी मानकों की जमकर धज्जियां उड़ती दिख रही हैं। अधिकांश ड्रेस बिना नाप के होने के कारण बच्चों के लिए बेमकसद साबित हो रही हैं।



जिले में बच्चों के निःशुल्क यूनिफार्म वितरण की मंशा पर विद्यालय की एसएमसी और ठेकेदारों ने पानी फेर दिया। नाप लेकर स्थानीय स्तर पर स्वयंसेवी संस्थाओं से सिलाई कराकर यूनिफार्म मुहैया न कराकर सीधे यूनिफार्म वितरण की पूरी जिम्मेदारी ठेकेदारों को सौंप दी। यूनिफार्म वितरण में मोटा कमीशन ले कर कपड़े कीगुणवत्ता को तार तार कर दिया गया। ऐसा नहीं है कि इसमें केवल शिक्षक की दोषी हों बल्कि विभागीय अधिकारियों को भी भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। जिले के परिषदीय स्कूलों में करीब 2.33 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। कमीशन के खेल में शामिल जिम्मेदारों को कोई गुरेज नहीं है। आलम यह है कि यूनिफार्म वितरण की समय सीमा बीत जाने के बाद भी। अभी तक 26 प्रतिशत बच्चों के हाथ यूनिफार्म नहीं पहुंच सका है।  मानकों के साथ खिलवाड़ परिषदीय स्कूलों के प्रति बच्चे कोदो सेट यूनिफार्म दिया जाना है। प्रति यूनिफार्म की दर से तीन सौ रुपए निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही कपड़े की गुणवत्ता के लिए भी मानक तय किए गए । साथ ही कहा गया है कि शिक्षक बच्चों की नाप लेकर स्थानीय स्तर पर कपड़ा सिलाने की व्यवस्था करें, ताकि बच्चों को मजबूत और गुणवत्ता युक्त यूनिफार्म मिल सके।



लापरवाही : कमीशन के खेल में मिलीभगत से उलझ गई बच्चों की यूनिफार्म , एसएमसी व ठेकेदारों की मिलीभगत से हो रहा खेल।

कोरोना संक्रमण को लेकर यूनिफार्म वितरण में थोड़ा देर हो रही है। 74 प्रतिशत वितरण हो चुका है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार होने वाली करीब 56 हजार यूनिफार्म में 60 फीसद कार्य पूरा हो गया है। यदि एसएमसी एवं विभागीय कर्मचारियों द्वारा मानकों के साथ खिलवाड़ किया गया।-अखिलेश कुमार, जिला समन्वयक

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