फतेहपुर : शासन ने भले ही परिषदीय स्कूलों को बुनियादी सुविधाओं के मोर्चे भी ऐसे तमाम स्कूल हैं जहां पर 'अमीर' करने का फैसला किया हो लेकिन उसकी मंशा धरातल पर पूरी तरह हकीकत का रूप नहीं ले सकी। जिले में अब ऑपरेशन कायाकल्प के तहत सभी बिन्दुओं को संतृप्त नहीं हो सके। ऑपरेशन कायाकल्प में प्रमुख भूमिका निभाने वाले पंचायत राज विभाग की अब प्राथमिकताएं बदल गई हैं।
डेढ़ वर्ष पूर्व मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी डीएम को जारी भेजे गए पत्र में कहा था कि पंचायतीराज विभाग अब प्राथमिकता के तौर पर परिषदीय स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की स्थापना करेगा। 14वें वित्त, राज्य वित्त, ग्राम विकास निधि एवं अन्य निधियों के द्वारा प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बुनियादी सुविधाओं के स्तर से संतृप्त किया जाएगा। कार्यों की वरीयता सूची भी जारी की गई थी। कोरोना की में भी शासन ने निर्धारित बिन्दुओं की सूची जारी कर तय समय में संतृप्त करने का आदेश दिया था। बेसिक शिक्षा विभाग भी आईवीआरएस कॉल के जरिए ऑपरेशन कायाकल्प की ग्राउन्ड शासन की मंशा के मुताबिक जीरो पर वस्तुस्थिति की समीक्षा कर रहा था। अब तक स्कूलों का कायाकल्प नहीं हो सका।
शुरुआती तेजी के बाद सुस्त पड़े जिम्मेदार : शासन ने दो वर्ष पूर्व 14वें वित्त की धनराशि स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की स्थापना में खर्च करने का आदेश दिया था तो जागरूक ग्राम प्रधानों ने अनेक परिषदीय स्कूलों में फ्लोर टाइलिंग व दूसरे काम कराए थे लेकिन जब इसे ऑपरेशन कायाकल्प के रूप में अभियान का रूप दे दिया गया तो सभी बिन्दुओं को संतृप्त करने में जिम्मेदारों ने गंभीरता नहीं दिखाई।
कई आदेशों में फंस गया कायाकल्प : जानकार बताते हैं कि शासन ने परिषदीय स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं एवं अन्य विकास कार्य कराने का आदेश दिया तो लगा कि जल्द ही सरकारी स्कूलों की दशा व दिशा बदल जाएगी लेकिन एक के बाद एक आए आदेशों से ऑपरेशन कायाकल्प को लेकर भ्रम की स्थिति हो गई। अब पंचायत राज विभाग अपने निदेशक के आदेश का हवाला दे रहा है। निर्देश के आदेश में कहा गया है कि ऑपरेशन कायाकल्प की बजाए गांवों में सामुदायिक शौचालय व पंचायत भवनों का निर्माण प्राथमिकता से कराया जाए। इस समय विभाग सामुदायिक शौचालयों व पंचायत भवनों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
अजय आनन्द सरोज, डीपीआरओ फतेहपुर