फतेहपुर : ऑपरेशन कायाकल्प भी नहीं सुधार सकी विद्यालयों की सेहत, ब्लॉक की निगरानी में ग्राम पंचायत स्तर से विद्यालयों को दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी।
अव्यवस्था
▪️जिले के कई ब्लॉकों के विभिन्न स्कूलों में फैली अव्यवस्था दे रही गवाही
▪️ब्लॉक की निगरानी में ग्राम पंचायत स्तर से विद्यालयों को दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी
फतेहपुर : ग्राम पंचायत स्तर पर स्थित सरकारी स्कूलों की अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए शासन द्वारा ऑपरेशन कायाकल्प चलाया जा रहा है। कई माह बीत जाने के बाद भीअव्यवस्थाओं से घिरे ऐसे विद्यालयों की सेहत में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। ऑपरेशन कायाकल्प महज कागजों तक की सीमित नजर आ रहा है। जबकि कायाकल्प के लिए शासन द्वारा धनराशि की भी व्यवस्था की जा ऑपरेशन चुकी है।
बेसिक शिक्षा के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए शासन ने ऑपरेशन कायाकल्प शुरू किया था। जिसमें बेसिक शिक्षा और बीडीओ कार्यालय को संयुक्त रूप से इसकी जिम्मेदारी दी गई है। ग्राम निधि से काम कराए जाने थे, लेकिन कायाकल्प के नाम पर महज औपचारिकता कर धनराशि खर्च कर लिया गया और स्कूलों की दशा में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। ऑपरेशन कायाकल्प अभियान को ग्राम पंचायत के हाथों में दिए जाने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग और खंड विकास कार्यालय सही तरीके से निगरानी भी नहीं कर सका और स्कूलों की दशा जस की तस बनी हुई है। सभी स्कूलों का कायाकल्प तो नहीं हो सका बल्कि ग्राम प्रधानों का कायाकल्प जरूर होता दिखाई दे रहा है।
क्या बोले जिम्मेदार
कम्पोजिट विद्यालय शिव कंठ का डेरा के प्रधानाध्यापक प्रेमचंद्र सोनकर ने बताया कि विद्यालय में हैंडपंप खराब है। बाउंड्री अधूरी है, फर्श टूटी है। विद्यालय पहुंचने का रास्ता नहीं है।दो-तीन वर्षों से कोई भी कार्य नहीं किया गया है। जिसकी शिकायत प्रधान सचिव समेत उच्चाधिकारियों से की गई है।
शासन की पहली प्राथमिकता पर गांव में पंचायत भवन का निर्माण हो रहा है। निर्माण के बाद बचे धन से विद्यालयों का कायाकल्प किया जाएगा। इसके लिए संबंधित सचिवों से रिपोर्ट मांगी गई है। -गोपीनाथ पाठक, बीडीओ विजयपुर
विद्यालय खंडहर में तब्दील
विजईपुर : क्षेत्र के गढ़ा और रायपुर भसरौल में आज भी दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं जहां पर बाउंड्री, टाइल्स, शौचालय में समुचित व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं हैं। रायपुर भसरौल स्थित शिवकंठ का डेरा का कम्पोजिट विद्यालय एवं चंदवाइन डेरा के प्राथमिक विद्यालय में आज भी बदहाली छाई है। जहां पर ना तो बच्चों के पीने के लिए पानी है और न ही व्यवस्थित शौचालय। टूटे-फूटे शौचालय बाउंड्री एवं कमरों की फर्श जिसमें बड़े-बड़े गड्ढे एवं धूल जमा है। बरसों से विद्यालय में पेंटिंग नहीं हुई। टूटी पड़े जंगले लड़कियां ऑपरेशन कायाकल्प की हकीकत बयां कर रही हैं।