प्रयागराज : बदला परीक्षा पैटर्न हिन्दी भाषी छात्रों के लिए नुकसानदायक
हिन्दुस्तान टीम,प्रयागराज | विधान परिषद सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह ने पीसीएस-2018 से परीक्षा पैटर्न में हुए बदलाव पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पीसीएस की विसंगतियों के विषय में बिन्दुवार जानकारी दी है। विधान परिषद सदस्य की मानें तो सबसे ज्यादा नुकसान हिन्दी भाषी प्रतियोगी छात्रों को हुआ है। उनका आरोप है कि पैटर्न बदलने से हिन्दी भाषी प्रतियोगी छात्र प्रतिभा होने के बावजूद चयन से वंचित हो गए हैं। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की गई है कि पैटर्न परिवर्तन से प्रभावित ऐसे अभ्यर्थियों को पुन: दो अवसर दिए जाएं जो पीसीएस परीक्षा के लिए ओवरएज हो चुके हैं।
पीसीएस मेंस में स्केलिंग न करने का आरोप
विधान परिषद सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह ने पत्र के माध्यम से कहा है कि पीसीएस-2018 में मुख्य परीक्षा में स्केलिंग नहीं की गई थी। जबकि विज्ञापन में स्पष्ट रूप में प्रावधान है। उच्चतम न्यायालय का इस संबंध में दिशानिर्देश भी है। जिसका अनुपालन नहीं किया गया है।स्केलिंग न होने से विज्ञान विषय के अभ्यर्थियों को फायदा हुआ। जबकि मानविकी विषय लेकर परीक्षा देने वालों को नुकसान हुआ क्योंकि गणित और विज्ञान विषय में पूरे अंक मिल जाते हैं लेकिन मानविकी में पूरे अंक नहीं मिल पाते हैं।
सिर्फ हिन्दी माध्यम से हो परीक्षा
देवेन्द्र प्रताप सिंह ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश के प्रतियोगियों की मांग मानते हुए पीसीएस परीक्षा केवल हिन्दी माध्यम से ही कराई जाए। पीसीएस-2018 की कॉपियों का विज्ञापन के अनुरूप मूल्यांकन किया जाय। साथ ही हिन्दी व अंग्रेजी माध्यम के विषयों का मूल्यांकन अलग-अलग विशेषज्ञों से कराया जाए।पत्र में कहा गया है कि प्रारंभिक परीक्षा को मात्र छटनी मानकर पद के सापेक्ष बीस गुना या आवेदित अभ्यर्थियों के 20 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाए। सभी विषयों को मुख्य परीक्षा में शामिल करें, मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के सभी पेपर में यूपी के विशेष सन्दर्भ में ही विषयगत प्रश्न पूछे जाएं। साक्षात्कार के दौरान वीडियोग्राफी कराई जाए।