नई दिल्ली : मातृभाषा की अनदेखी नहीं कर सकते, आंध्र में सरकारी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में बदलने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
आंध्र प्रदेश (AP) में सभी सरकारी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम (ENglish Medium) में बदलने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मातृभाषा की अनदेखी नहीं की जा सकती. मातृभाषा के माध्यम से पढ़ना-लिखना सीखना बच्चे के लिए सबसे अच्छी नींव है.
आंध्र प्रदेश में सरकारी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में बदलने पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई
आंध्र प्रदेश (AP) में सभी सरकारी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम (ENglish Medium) में बदलने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मातृभाषा की अनदेखी नहीं की जा सकती. मातृभाषा के माध्यम से पढ़ना-लिखना सीखना बच्चे के लिए सबसे अच्छी नींव है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हमें पता होना चाहिए कि नींव के लिए बच्चे को मातृभाषा के माध्यम से सीखना जरूरी है .
आंध्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन ने तर्क दिया कि मातृभाषा से समझौता नहीं किया जा रहा है. गरीब छात्र अंग्रेजी माध्यम के लिए भारी शुल्क का भुगतान नहीं कर सकते. राज्य में 96% माता-पिता अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं. जबकि तेलुगु के लिए हर मंडल में ऐसा एक स्कूल है. इस पर चीफ जस्टिस (CJI) बोबडे ने कहा कि आप चीन या रूस जाते हैं तो बच्चों को उनकी अपनी भाषा में पढ़ाया जाता है न कि विदेशी भाषा में.
अगले सप्ताह मामले की फिर सुनवाई
आंध्र प्रदेश ने सरकारी स्कूलों को इंग्लिश मीडिया के स्कूलों में बदलने के आदेश को रद्द करने वाले हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, अदालत ने राज्य सरकार की याचिका पर अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया था। हालांकि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा था कि प्रावधान में भाषा का मतलब मातृभाषा है इसलिए इस मामले में संघर्ष है. सुप्रीम कोर्ट अब अगले हफ्ते मामले की सुनवाई करेगा.
हाईकोर्ट से जगन सरकार को मिला था झटका
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने अप्रैल में जगनमोहन रेड्डी सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया था. इसमें 1-6 कक्षा तक सभी सरकारी स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2021-22 से अनिवार्य रूप से इंग्लिश मीडियम में तब्दील करने को कहा गया था. हाईकोर्ट ने फरवरी में आदेश को सुरक्षित रखा था.
जो इंग्लिश मीडियम में न पढ़ें हो, वो ही बोलें- जगन मोहन
मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने कहा है कि इससे गरीब वर्ग के बच्चे भी अच्छी शिक्षा पा सकेंगे और वह दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा के काबिल बनेंगे. उन्होंने विपक्षी नेताओं से कहा था कि वे इस कदम का तभी विरोध करें जब उनके बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूलों में न पढ़े हों।इस आदेश को जनहित याचिकाओं के जरिये हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।