SCHOOL, CHILDREN : अभिभावक नहीं चाहते बच्चों को स्कूल भेजना, अधिकारी भी अभिभावकों की सहमति के बिना जोखिम लेने को तैयार नहीं
लखनऊ। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावक कोरोना संकटकाल में बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहते हैं। अभिभावक स्कूल भेजने के लिए लिखित सहमति देने को तैयार नहीं हैं। उधर, शिक्षा विभाग के अधिकारी और शिक्षण संस्थाओं के प्रधान भी अभिभावकों की लिखित सहमति के बिना स्कूल खोलकर कोई जोखिम मोल लेना नहीं चाहते हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय की ओर से स्कूल खोलने के मुद्दे पर लिए गए फीडबैक में यह बात सामने आई है।
निदेशक ने बताया कि 15 अक्तूबर से स्कूल खोलने के मुद्दे पर उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षकों सहित अन्य संबंधित पक्षों से फीडबैक लिया है। इसमें सामने आया है कि अधिकांश अभिभावक कोरोना संक्रमण के भय से अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन में 15 अक्तूबर से कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल खोलकर पढ़ाई शुरू करने की अनुमति दी गई है, लेकिन सरकार ने बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए अभिभावक की लिखित सहमति लेने की व्यवस्था अनिवार्य की है। उन्होंने बताया कि अधिकांश अभिभावक लिखित सहमति देने को तैयार नहीं है।
अधिकारी भी अभिभावकों की सहमति के बिना जोखिम लेने को तैयार नहीं, हालात ठीक रहे तो दशहरे के बाद खुल सकते हैं स्कूल
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से लेंगे राय
निदेशक ने बताया कि आने वाले दिनों में उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा और अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करेंगी। उन्होंने बताया कि जिला विद्यालय निरीक्षकों से स्कूल खोलने के मुद्दे पर राय ली जाएगी। उसके बाद यदि हालात सामान्य हुए तो ही दशहरे के बाद स्कूल खोलने का निर्णय किया जा सकता है।