एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़ें

जनपदवार खबरें महराजगंज लखनऊ इलाहाबाद प्रयागराज गोरखपुर उत्तर प्रदेश फतेहपुर सिद्धार्थनगर गोण्डा बदायूं कुशीनगर सीतापुर बलरामपुर संतकबीरनगर देवरिया बस्ती रायबरेली बाराबंकी फर्रुखाबाद वाराणसी हरदोई उन्नाव सुल्तानपुर पीलीभीत अमेठी अम्बेडकरनगर सोनभद्र बलिया हाथरस सहारनपुर बहराइच श्रावस्ती मुरादाबाद कानपुर अमरोहा जौनपुर लखीमपुर खीरी मथुरा फिरोजाबाद रामपुर गाजीपुर बिजनौर बागपत शाहजहांपुर बांदा प्रतापगढ़ मिर्जापुर जालौन चित्रकूट कासगंज ललितपुर मुजफ्फरनगर अयोध्या चंदौली गाजियाबाद हमीरपुर महोबा झांसी अलीगढ़ गौतमबुद्धनगर संभल हापुड़ पडरौना देवीपाटन फरीदाबाद बुलंदशहर

Search Your City

लखनऊ : कोरोना ने बढ़ाई स्कूली बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच, ऑनलाइन शिक्षा में वाट्सएप का सर्वाधिक इस्तेमाल

0 comments
लखनऊ : कोरोना ने बढ़ाई स्कूली बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच, ऑनलाइन शिक्षा में वाट्सएप का सर्वाधिक इस्तेमाल

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कोरोना महामारी काल में स्कूल बंद हैं। बच्चे ऑनलाइन शिक्षा के भरोसे अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।ऑनलाइन शिक्षा के कारण स्कूली बच्चों की पहुंच स्मार्टफोन तक बढ़ी है। यह तथ्य हाल में जारी एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट में उजागर हुआ है। उत्तर प्रदेश में सर्वेक्षित आयु वर्ग के बच्चों में से 53.8 फीसद उन परिवारों के थे जिनके पास स्मार्टफोन है और ऐसे 54 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं।

ऐनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सितंबर महीने के दौरान देश के 30 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में फोन के जरिये सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश के 2096 गांवों के 5912 परिवारों और पांच से 16 वर्ष के 7882 बच्चे भी शामिल थे। रिपोर्ट में पाया गया कि वर्ष 2018 की तुलना में 2020 में बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच बढ़ी है। वर्ष 2018 में सरकारी स्कूलों के 19.8 फीसद और निजी स्कूलों के 38.9 फीसद बच्चों की पहुंच स्मार्टफोन तक थी। वर्ष 2020 में सरकारी स्कूलों के 44.9 फीसद और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 64.2 फीसद बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच थी।

सरकारी स्कूलों वाट्सएप पर ज्यादा पढ़ाई :

सर्वेक्षण अवधि के दौरान सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 61 फीसद बच्चों को वाट्सएप, 14 प्रतिशत को फोन कॉल के जरिये लर्निंग मैटीरियल मिला, जबकि निजी स्कूलों के 83.6 प्रतिशत बच्चों को वाट्सएप और 6.4 प्रतिशत को फोन कॉल के जरिये शिक्षण सामग्री मुहैया करायी गई। सरकारी स्कूलों के 57.3 फीसद बच्चों की ओर से बताया गया कि सर्वेक्षण अवधि के दौरान उन्हें शिक्षण सामग्री नहीं मुहैया करायी गई। सरकारी स्कूलों के 14.8 फीसद बच्चों ने इसकी वजह इंटरनेट कनेक्शन न होना बताया तो 32 फीसद ने कहा कि उनके पास स्मार्टफोन नहीं है, जबकि तीन फीसद ने कनेक्टिविटी की समस्या बतायी।

नहीं मिला लर्निंग मैटीरियल :

सर्वेक्षण में निजी स्कूलों के 60 फीसद बच्चों ने कहा कि सर्वेक्षण अवधि के दौरान उन्हें कोई लर्निंग मैटीरियल नहीं मिला जबकि 13.8 फीसद ने कहा कि ऐसा इंटरनेट कनेक्शन न होने की वजह से हुआ। वहीं निजी स्कूलों के 23.8 फीसद बच्चों ने इसके लिए स्मार्टफोन की अनुपलब्धता को इसकी वजह बताया। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 43.4 प्रतिशत बच्चों ने बताया कि सर्वेक्षण अवधि के दौरान उन्होंने किसी शैक्षिक गतिविधि में भाग नहीं लिया जबकि निजी स्कूलों के 35.2 प्रतिशत बच्चों ने ऐसा कहा।

73.8 फीसद परिवारों के पास स्मार्टफोन :

सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश में 26.1 फीसद बच्चों के अभिभावकों का शैक्षिक स्तर निम्न पाया गया। इनमें से 36.8 फीसद बच्चे उन परिवारों से थे जिनके पास स्मार्टफोन है और 71.8 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। वहीं 20.7 प्रतिशत बच्चों के अभिभावकों का शैक्षिक स्तर उच्च पाया गया। इनमें से 73.8 फीसद बच्चे उन परिवारों से ताल्लुक रखते हैं जिनके पास स्मार्टफोन है और ऐसे 31.7 फीसद बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। 

ऑनलाइन शिक्षा का हल्ला ज्यादा, हकीकत कम :

कोरोना आपदा के दौरान स्कूलों के बंद होने पर बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा का हल्ला ज्यादा मचा लेकिन जमीन पर इसका असर कम दिखा। हाल ही में जारी की गई वर्ष 2020 की ऐनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) ने इस तथ्य को उजागर किया है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए किये गए सर्वेक्षण की अवधि (सप्ताह) के दौरान प्रदेश में सरकारी स्कूलों के सिर्फ 19.4 प्रतिशत बच्चों और निजी विद्यालयों के 23 प्रतिशत विद्यार्थियों को स्कूलों की ओर से पाठ्यपुस्तकों से इतर शिक्षण सामग्री/गतिविधि मुहैया करायी गई। पढ़ाई के लिए बच्चे पाठ्यपुस्तकों पर ज्यादा आश्रित रहे।

पाठ्यपुस्तकों और वर्कशीट पर ज्यादा निर्भर रहे बच्चे :

रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों की बंदी के दौरान पाठ्यपुस्तकों और वर्कशीट के जरिये पढ़ाई का पुराना ढर्रा ज्यादा अपनाया गया। सर्वेक्षण अवधि के दौरान जिन बच्चों ने शैक्षिक गतिविधियों में हिस्सा लिया, उनमें से सरकारी स्कूलों के 78.2 प्रतिशत और निजी स्कूलों के 93.8 फीसद बच्चों ने पाठ्यपुस्तकों और वर्कशीट के जरिये पढ़ाई की। निजी स्कूलों के 21.6 तो सरकारी विद्यालयों के 12.2 फीसद बच्चों ने रिकॉर्डेड वीडियो क्लासेज का भी सहारा लिया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।