नई दिल्ली : फीस बढ़ोतरी सहित स्कूलों की मनमानी पर लगेगा अंकुश, सभी राज्यों में गठित होगा एसएसएसए
स्कूलों की गुणवत्ता को बरकरार रखने के साथ उनकी मनमानी पर लगेगी रोक
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की सरकार की कोशिशें वैसे तो लगातार जारी है, लेकिन शिक्षा के तेजी से होते व्यवसायीकरण की आंधी में वह कभी टिक नहीं पायी। पर अब ऐसा नहीं होगा। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत बनाने के लिए सभी राज्यों में एक स्वतंत्र प्राधिकरण का गठन होगा।फिलहाल इसे राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण (एसएसएसए) नाम दिया गया है। जो स्कूलों की गुणवत्ता को बरकरार रखने के साथ उनकी फीस बढ़ोतरी, किताबों के चयन आदि से जुड़ी मनमानी पर भी रोक लगाएगी।
स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षो में गली-मोहल्ले में दो-दो कमरों में चलने वाले निजी स्कूलों की जिस तरह से बाढ़ आयी, उसके बाद स्कूलों की गुणवत्ता को लेकर नए सिरे से मंथन शुरू हुआ था। हालांकि इसके रोकथाम के लिए कोई सख्त उठाया जाता, इससे पहले हाल ही में आयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस विषय को गंभीरता से उठाया गया। साथ ही स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए राज्य स्तर पर कड़े उपायों की जरूरत बताई गई।
स्कूलों को प्राधिकरण की ओर तय मानकों को अपनाना जरूरी होगी
शिक्षा मंत्रालय ने फिलहाल राज्यों के साथ मिलकर इस पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। इसके तहत अब स्कूलों को प्राधिकरण की ओर तय मानकों को अपनाना जरूरी होगी। वहीं इन मानकों का निर्धारण भी दुनिया भर में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर रखने के लिए अपनायी जाने वाली बेहतरीन पहल के आधार पर किया जाएगा। जिसका फोकस स्कूलों में बचाव, सुरक्षा, आधारभूत ढांचा, कक्षाओं और विषयों के आधार पर शिक्षकों की संख्या, वित्तीय ईमानदारी और शासन की उपयुक्त प्रक्रिया आदि के आधार पर किया जाएगा। फिलहाल प्राधिकरण की ओर से तय किए जाने वाले मानकों का पालन सभी स्कूलों के लिए अनिवार्य होगा। हालांकि इन मानकों को अंतिम रूप से देने से पहले स्कूलों के शिक्षकों और अभिभावकों की राय भी ली जाएगी।
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता के लिए केंद्र सरकार का बड़े कदम
स्कूलों की गुणवत्ता को मजबूती देने की इस योजना के तहत सभी स्कूलों को हर साल राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण (एसएसएसए) की ओर से तय मानकों के आधार पर एक स्व-घोषणा करनी होगी। बाद में किसी स्वतंत्र एजेंसी से इसे जांचा जाएगा। साथ ही मानक पर खरे न उतरने पर इसका रिपोर्ट राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग को देगा। जो राज्य में स्कूली शिक्षा की सर्वोच्च निकाय है। फिलहाल मौजूदा समय में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार के बड़े कदम उठा चुकी है। इनमें स्कूली बच्चों के लिए न्यूनतम सीखने के मानकों का निर्धारण और शिक्षकों को प्रशिक्षण देना प्रमुख है। पिछले सालों में सरकार ने सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ा रहे करीब 15 लाख शिक्षकों को आनलाइन माध्यम से प्रशिक्षित किया था। अभी भी शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए निष्ठा कार्यक्रम शुरु कर रखा है।