गोरखपुर : अति गंभीर दिव्यांग बच्चों को घर बैठे मिलेगी शिक्षा, जानिए कैसे, ऐसे बच्चों का घर के पास स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कराया जाएगा नामांकन
हर स्पेशल एजुकेटर को पांच गंभीर रूप से दिव्यांग बच्चों की दी जाएगी जिम्मेदारी
विवेक सिंह, गोरखपुर। दिव्यांगता की वजह से विद्यालय नहीं पहुंचने वाले बच्चों को भी समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए उन्हें शिक्षित किया जाएगा। इसमें जिले के 215 अति गंभीर दिव्यांग विद्यार्थियों को घर बैठे ही शिक्षा मुहैया कराई जाएगी। इसे लेकर राज्य परियोजना निदेशक विजय किरण आनंद का आदेश जारी हुआ है। इसके तहत बच्चे की उम्र के मुताबिक घर के समीप स्थित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में नामांकन कराया जाएगा। दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए तैनात किए गए स्पेशल एजुकेटर्स या फिजियोथेरेपिस्ट उन्हें घर जाकर उनके स्वास्थ्य के साथ ही अध्यापन भी कराएंगे। हर एजुकेटर या फिजियोथेरापिस्ट को पांच-पांच बच्चों की जिम्मेदारी दी जाएगी। निगरानी के लिए नामांकित विद्यालय के प्रधानाध्यापक को नोडल बनाया जाएगा। मौजूदा व्यवस्था के तहत चार से छह वर्ष के दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने के लिए हर जिले में एक्सीलरेटेड लर्निंग कैंप स्थापित किया गया है। इनमें बच्चों को शुरुआती शिक्षा देने के बाद उनकी दिव्यांगता के मुताबिक दिव्यांगों के स्कूल में भेजा जाता है।
*शिक्षण सामग्री मुफ्त उपलब्ध होगी*
जो बच्चे चलने-फिरने में सक्षम हैं, उन्हें सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाकर आगे की पढ़ाई कराई जाती है। मगर चलने-फिरने में असमर्थ विद्यार्थियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इसी को देखते हुए विशिष्ट दिव्यांगता वाले बच्चों को घर बैठे पढ़ाने का निर्णय लिया गया है।विशेष एजुकेटर्स और फिजियोथेरेपिस्ट को बकायदा प्रशिक्षित किया जाएगा। जिले के हर ब्लॉक में 43 स्पेशल एजुकेटर्स तैनात हैं। इसके साथ ही बच्चों की शिक्षण सामग्री के लिए सीपी चेयर, मल्टी सेंसरी इंटीग्रेटेड एजूकेशन किट, गुब्बारे, फ्लैश कार्ड, पिक्टोरियल चार्ट, मानचित्र, ब्रेल मैटेरियल्स, स्पर्शीय चित्र समेत अन्य उपकरण मुहैया कराए जाएंगे। लर्निंग आउटकम की नियमित रुप से निगरानी अभिभावकों की ओर से कराई जाएगी।
अति गंभीर दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए घर बैठे शिक्षा मुहैया कराने की शुरुआत बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से की जा रही है। इसके तहत विशेष एजुकेटर्स पांच-पांच बच्चों की जिम्मेदारी लेकर उन्हें दैनिक जीवन के कामों में प्रशिक्षित कर उन्हें विद्यालय आने के लिए प्रशिक्षित करेंगे। -विवेक जायसवाल, समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान