फर्रुखाबाद : दाेनों हाथ थे खराब तो पैरों से लिखकर पास किया बीटेक, नहीं मिली नौकरी तो अब बच्चों को फ्री में दे रहे शिक्षा
कौशिक द्विवेदी,फर्रुखाबाद | मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है। कांशीराम कॉलोनी में रहने वाले दिव्यांग एहतिशाम हैदर ने इसे कर दिखाया। बेजान हाथों के बावजूद पैरों से लिख कर पढ़ा और बीटेक तक कर लिया, लेकिन नौकरी नहीं मिली। फिर उन्होंने बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने का बीड़ा उठाया। 8 साल से चल रहा यह क्रम लॉकडाउन में भी नहीं थमा। हाथ वालों से बेहतर लिखावट, पेंटिंग के साथ-साथ गायिकी में भी यू-ट्यूब पर धमाल मचा रहे हैं। एहतिशाम जन्मजात दिव्यांग थे मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। बीएससी के बाद बीटेक किया और अब एलएलबी कर रहे हैं। एहतिशाम का कहना है कि कई जगह नौकरी के लिए साक्षात्कार दिया। मगर दिव्यांगता के चलते नौकरी देने को तैयार नहीं है। वन अधिकारी के लिए भी चार साल पहले आवदेन किया था, पर उसमें नंबर नहीं आया। फिर एक दिन कांशीराम कॉलोनी के बच्चों को इधर-उधर घूमते-हुड़दंग करते और नशा-पत्ती करते देखा तो उन्हें रहा नहीं गया। उन्होंने उन बच्चों के मां-बाप को बुलाया और उनसे बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। मगर सभी ने रुपये-पैसे न होने पर इनकार कर दिया। तब एहतिशाम ने कहा, हम इन बच्चों को फ्री में पढ़ाएंगे। आठ साल से उनकी क्लास नियमित चल रही है। सात वर्ष पहले एहतिशाम के पिता इस्लाम अहमद का इंतकाल हो चुका है। वह वैद्य थे । मां कुबरा बेगम कम पढ़ी-लिखी हैं। बहन गजाला तबस्सुम पर अचानक पूरे परिवार का भार आ गया। तब एहतिशाम ने गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाने के साथ 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया ताकि घर-खर्च चलने में दिक्कत न आए। इस समय वह 25 बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनके पढ़ाए तमाम झोपड़-पट्टी के बच्चे हाईस्कूल-इंटर में प्रथम श्रेणी में पास हो चुके हैं। कूड़ा बीनने और मेहनत-मजदूरी करने वालों के घरों में शिक्षा की लौ जलाने वाले एहतिशाम को हर कोई जीभर के दुआएं देता है।
चित्रकारी-गायन का भी शौक, मिले कई सम्मान
एहतिशाम जब अपने खराब पैरों की उंगलियों से चित्रकारी करते हैं तो लोग हैरत में पड़ जाते हैं। वह आज भी दिन में एक-दो बार कोई न कोई चित्र अवश्य बनाते हैं। इसके साथ ही वह गायन के भी शौकीन हैं। यू-ट्यूब पर उनके बनाए गाने भी छाए रहे हैं। एहतिशाम के हौसले को देखते हुए तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। इसके अलावा विभिन्न संस्थाओं की ओर से भी सम्मान पत्र मिले हैं।