आगरा : अभिलेख न मिलने से तनाव में आए प्रधानाध्यापक की तबीयत बिगड़ी
हिन्दुस्तान टीम,आगरा | विकास खंड अछनेरा पर बीईओ और लिपिक की लापरवाही का शिकार हुए एक प्रधानाध्यापक की गुरुवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। परिजनों का आरोप है कि बीईओ और लिपिक के कारण वह काफी दिनों से तनाव में हैं। परिजनों ने उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया है।प्रधानाध्यापक शैलेन्द्र कुमार के मूल शैक्षिक अभिलेख पिछले दो साल से बीआरसी अछनेरा पर जमा हैं। तत्कालीन बिल बाबू राजवीर सिंह ने लिखित में शैलेन्द्र कुमार से अभिलेख प्राप्त किए थे। हाल ही में मानव संपदा पोर्टल पर शैलेन्द्र कुमार को अपने अभिलेख अपलोड करने की जरूरत पड़ी। उन्होंने बीआरसी पर लिखित में अपने अभिलेखों की वापस मांग की। जहां उनके अभिलेख मौजूद होने से साफ इनकार कर दिया गया। इसके बाद शैलेन्द्र कुमार ने बीएसए, एडीबेसिक से लेकर महानिदेशक स्कूली शिक्षा तक पत्राचार किया। महानिदेशक स्कूली शिक्षा ने शैलेन्द्र कुमार की शिकायत का संज्ञान लेते हुए तत्काल शैलेन्द्र कुमार के अभिलेख वापस करने के निर्देश दिए। इधर बीईओ भुवनेश चौधरी ने उच्चाधिकारियों को बीआरसी पर अभिलेख मौजूद नहीं होने का स्पष्टीकरण दे दिया। शैलेन्द्र कुमार ने परेशान होकर फिर से महानिदेशक का दरवाजा खटखटाया।महानिदेशक ने कड़ा रुख अपनाते हुए बीएसए को निर्देशित किया कि। पत्र में कहा गया कि संबधित लिपिक राजवीर सिंह के खिलाफ तत्काल एफआईआर कराई जाए। वहीं कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में भुवनेश चौधरी के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हो।
नहीं हुई कोई कार्रवाई
महानिदेशक के निर्देशों के अनुपालन में बीएसए की ओर से दिए गए दिशा निर्देशों को बीईओ भुवनेश चौधरी ने हवा में उड़ा दिया। राजवीर सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में नहीं लायी गयी। इधर बीएसए ने भी भुवनेश चौधरी पर कोई कार्रवाई करने की जरूरत नहीं समझी।
परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप
शैलेंद्र कुमार के परिजनों ने बीआरसी अधिकारियों पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि शैलेंद्र कुमार की नौकरी खतरे में पड़ने लगी है। अभिलेखों को लेकर लगातार टालमटोल की जा रही है। इसकी वजह से शैलेंद्र मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं। उनके घर में आए दिन तनाव की स्थिति रहने लगी है। अनहोनी होने पर इसकी जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों की होगी।
बीईओ का कारखास है तत्कालीन लिपिक
सूत्रों के अनुसार तत्कालीन लिपिक राजवीर सिंह अपने पद से कार्यमुक्त होने के बावजूद बीआरसी पर जमा रहता है। उसको अपने विद्यालय के शिक्षण कार्य से कोई सरोकार नहीं है। बीईओ के समस्त कामकाजों को अवैध तरीके से वहीं निस्तारण करता है। उसकी शिकायत विगत में प्रकाश में आने के बावजूद बीईओ की कथित मेहरबानी से वह साफ बचता रहा। शैलेंद्र कुमार के मामले में भी बीईओ द्वारा राजवीर सिंह को लगातार बचाने के प्रयास किये जा रहे हैं।