लखनऊ : उर्दू, अरबी, फारसी, संस्कृत अब नहीं होंगे अनिवार्य विषय,भाषा विवि में इन्हें पढ़ने की बाध्यता खत्म, कार्य परिषद ने लगाई मुहर
लखनऊ। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में अनिवार्य प्राथमिक विषयों के रूप में उर्दू, अरबी, फारसी, संस्कृत को समाप्त कर दिया गया है। इसके स्थान पर ‘भाषा की संस्कृति और इतिहास का परिचय’ विषय को शामिल किया गया है। इस पर शुक्रवार को कार्य परिषद ने मुहर लगा दी है। बैठक में छात्र-छात्राओं के सीनेट बनाए जाने को भी हरी झंडी दी गई। सीनेट के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संकाय अध्यक्ष व छात्र कल्याण को दी गई।कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में हुई बैठक में छात्रों की अनिवार्य विषयों की समस्या को ध्यान में रखकर चर्चा कर निर्णय लिया गया। इसके लिए विश्वविद्यालय की परिनियमावली में संशोधन किया गया है। इस विषय का सिलेबस भी अप्रूव कर दिया गया। कार्य परिषद में विश्वविद्यालय के 12 सहायक आचार्यों को कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रोन्नति का अनुमोदन दिया गया। साथ ही कार्य परिषद ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों की पूर्व में की गई सेवाओं को वर्तमान सेवा में जोड़े जाने के लिए शासन को पत्र भेजने का भी अनुमोदन दिया। डॉ. प्रवीण कुमार राय को सुरक्षा प्रभारी नामित किए जाने की संस्तुति दी गई। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने तक अस्थाई रूप से आउटसोर्सिंग के माध्यम से सुरक्षा एजेंसी एवं मेस चालक की व्यवस्था की जाएगी।कार्य परिषद ने विश्वविद्यालय के ‘लोगो’ और झंडे को अंगीकृत किया, जिसका अनावरण सात फरवरी को कुलाधिपति व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल करेंगी। इसके साथ ही बैठक में मार्च में प्रस्तावित दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के लिए तीन नाम अनुमोदन के लिए शासन को भेजने पर सहमति दी गई है।
स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए समिति गठित
कार्य परिषद में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए एक समिति गठन किए जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। विश्वविद्यालय में बीटेक और कुछ दूसरे कोर्स सेल्फ फाइनेंस मोड में चल रहे हैं। इसके साथ ही परिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 52 के तहत विश्वविद्यालय के प्रथम प्रस्तावित अध्यादेश के प्राख्यान को बैठक में सर्वसम्मति से अनुमोदन प्रदान किया।