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प्रतापगढ़ : प्रतापगढ़ के शिक्षक अनिल कुमार निलय की कहानी को ऑस्‍ट्रेलिया की ई पत्रिका में मिला स्‍थान

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प्रतापगढ़ के शिक्षक अनिल कुमार निलय की कहानी को ऑस्‍ट्रेलिया की ई पत्रिका में मिला स्‍थान



शिक्षक अनिल कुमार निलय की कहानी प्री बोर्ड को अंतरराष्ट्रीय ई पत्रिका सृजन आस्ट्रेलिया में स्थान मिला है।

शिक्षक अनिल बताते हैं कि प्री बोर्ड वास्तव में एक औसत दर्जे की विद्यार्थी (उर्मिला) के टॉपर बनने तक के सफर की कहानी है। इस कहानी में एक शिक्षक की बहुमुखी भूमिका को दिखाने का प्रयास किया गया है।









यूपी के प्रतापगढ़ जिले में राजकीय विद्यालय के शिक्षक अनिल कुमार निलय का डंका आस्ट्रेलिया में बजा है। उनकी प्री बोर्ड कहानी को वहां की अंतरराष्ट्रीय ई पत्रिका सृजन आस्ट्रेलिया में स्थान मिला है। इसकी जानकारी होने पर डीआइओएस सहित कई शिक्षकों ने सराहना की है।

कहानी प्री बोर्ड एक कमजोर बच्‍ची के टॉपर बनने की है कहानी

राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सराय आनादेव के प्रभारी प्रधानाध्यापक अनिल कुमार निलय की बाल कहानी प्री बोर्ड ऐसी बच्ची की कहानी है, जो पढऩे में काफी कमजोर थी। उसके विद्यालय में एक शिक्षक कुमार साहब आते हैं और नए तरीके से प्रैक्टिकल के जरिए बच्चों को शिक्षा देते हैं । स्कूल में पढऩे वाली बच्ची आगे चलकर टॉपर हो जाती है। इतना ही नहीं बच्ची की अनपढ़ मां भी काफी जागरूक हो जाती है। इसमें यह संदेश दिया गया है कि एक शिक्षक कैसे एक बच्ची की जिंदगी को बदल देता है। शिक्षक अनिल बताते हैं कि प्री बोर्ड वास्तव में एक औसत दर्जे की विद्यार्थी (उर्मिला) के टॉपर बनने तक के सफर की कहानी है। इस कहानी में एक शिक्षक की बहुमुखी भूमिका को दिखाने का प्रयास किया गया है।


कहानी में शिक्षक द्वारा विज्ञान विषय को किताबों से इतर रोजमर्रा की चीजों और घटनाओं में दिखाकर उसके पीछे के वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सिद्धांतों को दिखाने का प्रयास किया गया है। यह प्रयास विद्यार्थियों में न केवल विज्ञान विषय को समझने में बल्कि विद्यार्थियों में विषय के प्रति नया नजरिया उत्पन्न करने में सहायक होता है। कहानी में दिखाया गया है कि किचेन से लेकर बाजार तक आम से आम चीजों के पीछे उर्मिला विज्ञान खोजना आरंभ करने लगती है। इससे उसकी मां, जो कि अनपढ़ है को भी विज्ञान के अधिकतर सिद्धांत समझ आने लगते हैं। देखते ही देखते उर्मिला की पढ़ाई में बढ़ती दिलचस्पी उसे टॉपर में बदल देता है।



आस्‍ट्रेलिया से प्रकाशित अंतराष्‍ट्रीय ई पत्रिका में मिला स्‍थान

उनकी इस कहानी को विक्टोरिया(आस्ट्रेलिया) से प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका में स्थान प्राप्त होने पर डीआइओएस सर्वदा नंद, जीजीआइसी बरहदा के प्रधानाचार्य डॉ. विंध्याचल सिंह, जीआइसी के प्रधानाचार्य राजकुमार सिंह, मो. अनीस, डॉ. सालिक राम प्रजापति आदि ने खुशी का इजहार किया है। अंतरराष्ट्रीय ई पत्रिका सृजन के प्रधान संपादक भारतीय मूल के आस्ट्रेलिया निवासी कवि डॉ. शैलेश शुक्ला हैं और मुख्य संपादक पूनम चतुर्वेदी हैं।


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