वाराणसी : बीएड के नए पाठ्यक्रम पर संशय में विश्वविद्यालय
वाराणसी। राज्य विश्वविद्यालयों में बीएड के नए पाठ्यक्रम को लेकर शिक्षकों में संशय की स्थिति बनी हुई है। नए पाठ्यक्रम को इसी सत्र से लागू करने का निर्देश है, मगर 88 पेज के ड्राफ्ट में कई बिंदुओं पर शिक्षकों ने आपत्ति जताई है।नई शिक्षा नीति के तहत देशभर के विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम में बदलाव होना है। सभी पाठ्यक्रम अब क्रेडिट सिस्टम आधारित होंगे और इन्हें अलग-अलग खंडों में बांटा जाएगा। बीएड शिक्षा संचालित करने वाली एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन) नई शिक्षा नीति के अनुरूप बीएड के पाठ्यक्रम में बदलाव कर रही है। ऐसे में राज्य स्तर पर 88 पेज के बीएड कॉमन सिलेबस का ड्राफ्ट विश्वविद्यालयों और छात्र-छात्राओं के बीच दुविधा पैदा कर रहा है। शासन के निर्देश पर इस नए सिलेबस को मौजूदा सत्र से ही पढ़ाने की तैयारी तो कर ली गई है मगर शिक्षक इसके कई बिंदुओं पर सवाल उठा रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि नई शिक्षा नीति में हिंदी और संस्कृत के साथ ही स्थानीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही गई है मगर बीएड पाठ्यक्रम का 88 पेज का ड्राफ्ट अंग्रेजी में है। इसके अलावा सिलेबस में मध्यकालीन शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से गायब कर दी गई है। कई शिक्षकों ने शासन को इस बाबत पत्र लिखकर सिलेबस की कमियों की तरफ ध्यान आकर्षित कराया है। उनका कहना है कि सिलेबस में कहीं भी महर्षि पाणिनी, पतंजलि और याज्ञवल्क्य जैसे प्राचीन भारतीय शिक्षाविदों का नाम तक नहीं है। इसके अलावा भी सिलेबस में कई संशोधनों का सुझाव दिया गया है। बता दें कि न्यूनतम समान पाठ्यक्रम में विश्वविद्यालयों को अपनी तरफ से सिर्फ 30 फीसदी संशोधन करने की छूट दी गई है। शेष पाठ्यक्रम हर जगह समान पढ़ाया जाएगा।