पालीटेक्निक के लिए लगातार कम हो रहा अभ्यर्थियों का रुझान, 40 फीसदी सीट भरना पाना संयुक्त शिक्षा प्रवेश परिषद के लिए मुश्किल
लखनऊ। कार्यालय संवाददाता पॉलीटेक्निक संस्थानों पर बंदी की तलवार लटक रही है। वजह बताई जा रही है कि संस्थानों को छात्र ही नहीं मिल रहे हैं। प्रदेश के 1346 संस्थानों में 2.28 लाख सीटें हैं और अभी तक सिर्फ 35 हजार छात्रों ने एडमिशन लिया है। सीधे एडमिशन का विकल्प देने के बाद 25 हजार ने आवेदन किया है। यदि आवेदन करने वाले सभी प्रवेश ले लेते हैं तो भी केवल 60 हजार सीटें ही भर पाएंगी। छात्र संख्या में यह गिरावट पिछले तीन वर्ष से जारी है।
क्यों घट रहा रुझान
पॉलीटेक्निक से फार्मेसी इन डिप्लेामा में तो अभ्यर्थी मिल जाते हैं लेकिन अन्य ब्रांच में हालात बेहद खस्ता हाल हैं। इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थी को 12 से 15 हजार रुपए महीने पर प्रदेश के बाहर प्राइवेट कम्पनी में नौकरी के विकल्प दिए जाते हैं। इतने वेतन पर अभ्यर्थी ज्वाइन नहीं करते और अगर ज्वाइन करते हैं तो कुछ ही वक्त में नौकरी छोड़ वापस आ जाते हैं। प्लेसमेंट के अलावा पॉलीटेक्निक में खस्ताहाल प्रयोगशाला, शिक्षकों की कमी, मूल्यांकन की शिकायत, शिक्षा के स्तर का गिरना भी प्रमुख कारण हैं।
यूं बढ़ती गई खाली सीटों की संख्या
प्रदेश में कुल सीटों को संख्या 2.28527
सत्र रिक्त सीट
2019-20 80277
2020-21 1,12233
2021-22 1,32,305
2022-23 1,68,527 (प्रवेश प्रक्रिया जारी)
खाली सीटों को भरने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके लिए प्रवेश परीक्षा के बाद भी इच्छुक अभ्यर्थियों को मौका दिया गया। सत्र 2022-23 में प्रवेश परीक्षा के बाद हुई काउंसलिंग से 35 हजार सीट एवं इसके बाद सीधे प्रवेश के माध्यम से 25 हजार आवेदन आए हैं। अभी एक मौका प्रवेश के लिए और दिए जाने की तैयारी की जा रहा है।
राम रतन, प्रभारी सचिव, संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद