गुवाहाटी असम में डॉ बृजेश महादेव हुए सम्मानित
काटन विश्वविद्यालय गुवाहाटी असम के सहायक प्रोफेसर हिन्दी विभाग ने किया सम्मानित
पुर्वोत्तर राज्यों के भौगोलिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन के शैक्षणिक भ्रमण पर निकले डॉ बृजेश कुमार सिंह "महादेव" शिक्षक एवं साहित्यकार सोनभद्र उत्तर प्रदेश को असम के गुवाहाटी नगर में आयोजित सादे समारोह में डॉ नूरजहां सहायक प्रोफेसर हिन्दी विभाग काटन विश्वविद्यालय गुवाहाटी द्वारा साहित्यिक सेवा में अनुकरणीय योगदान के लिए सम्मानित किया। इस अवसर पर आभार प्रकट करते हुए डॉ बृजेश महादेव प्रधान सम्पादक सर्चलुक शोध पत्रिका एवं साहित्य सरोवर ने कहा कि आज "उत्तर पूर्व भारत का प्रवेश द्वार" कहा जाने वाला प्राचीन नगर में प्राप्त यह सम्मान हमें आजीवन अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहने की प्रेरणा देता रहेगा। गुवाहाटी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, जो इसके कई मंदिरों, स्मारकों और त्योहारों में दिखाई देती है। यहां का कामाख्या मंदिर एक शक्ति पीठ के रूप में प्रतिष्ठित हैं। डॉ नूरजहां रहमतुल्लाह ने डॉक्टर बृजेश महादेव के गुवाहाटी में प्रथम आगमन पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए यहां की पारम्परिक टोपी खमौर व हस्त निर्मित अंगवस्त्र से सम्मानित किया। भ्रमण टीम के विद्वान साथी गया प्रसाद बैस, संतोष बैस व प्रदीप कुमार को भी अंगवस्त्र से नवाजा गया। अंत में डॉ बृजेश महादेव ने भी साहित्यकार डॉ नूरजहां को अपनी पहली पुस्तक "कौन करेगा इंसाफ" सप्रेम भेंट किया। डॉ बृजेश महादेव ने बताया कि पूर्वोत्तर में आठ राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा, आंते हैं। देश का यह भाग पाँच देशों- बांग्लादेश, भूटान,म्याँमार, नेपाल, और चीन, की सीमा से लगा हुआ है। विगत वर्ष सिक्किम का भ्रमण किया था। सात में से अधिकतम अवलोकन का प्रयास करूंगा। पूर्वोत्तर भारत के इन सभी राज्यों की अपनी अनूठी संस्कृति व अपना इतिहास रहा है. इसके साथ ही यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हस्तशिल्प, मार्शल आर्ट के लिए भी जाना जाता है. भौगोलिक रूप से भी यह क्षेत्र अपनी सीमाओं, विद्रोह, सुरक्षा कारणों के साथ ही कई भागों में प्रतिबंध के रूप में भी चर्चित भी है. भ्रमण टीम द्वारा भौतिक एवं सांस्कृतिक अवलोकन करने का प्रयास किया जायेगा। अंत में इस मिशन की सफलता के लिए शुभ चिंतकों ने बधाई दी