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महराजगंज : नहीं मिली 42 करोड़ जीपीएफ की धनराशि, सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों की देनदारी को लेकर छाया संकट छेड़ा

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महराजगंज : नहीं मिली 42 करोड़ जीपीएफ की धनराशि, सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों की देनदारी को लेकर छाया संकट 

जागरण संवाददाता,

महराजगंज : गोरखपुर से महराजगंज जिला बंटवारे के 35 वर्ष बाद भी परिषदीय शिक्षकों का जनरल प्राविडेंट फंड (जीपीएफ) बकाया गोरखपुर जिला के लेखा विभाग में अटका हुआ है। पत्राचार के बावजूद भी जीपीएफ का बकाया भुगतान नहीं होने से सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों की देनदारी को लेकर विभाग पर बकाया बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर वित्त एवं लेखाधिकारी ने एक बार फिर से अनुस्मारक पत्र लिखकर 42.64 करोड़ बकाया भुगतान की मांग की है।

महराजगंज जिला बनने से पहले यह गोरखपुर जनपद का हिस्सा था। बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों की जीपीएफ कटौती गोरखपुर वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय के माध्यम से होती थी। दो अक्टूबर 1989 में महराजगंज को गोरखपुर से अलग कर एक नया जिला बनाया गया। इस विभाजन के दौरान अन्य विभागों की फाइलों का आदान-प्रदान तो हो गया, लेकिन महराजगंज के शिक्षकों के जीपीएफ का बंटवारा नहीं हो पाया। जिसके कारण यह राशि गोरखपुर में फंसी रही। गोरखपुर से 51 करोड़ रुपये से अधिक की जीपीएफ राशि महराजगंज को ट्रांसफर करनी थी, लेकिन विभाग की लापरवाही के चलते शिक्षकों की यह धनराशि गोरखपुर से अब तक नहीं भेजी गई।

जिले शिक्षकों का 42.64 गोरखपुर में बकाया है। इसको लेकर गोरखपुर वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय को पत्र भेजा गया है। इस धन के भुगतान होने के बाद ही जिले के शिक्षकों की देनदारी में आसानी होगी। 
अबरार आलम, वित्त एवं लेखाधिकारी

दो साल पहले महराजगंज के शिक्षक संगठनों ने इसको लेकर आंदोलन छेड़ा तो गोरखपुर से 11.64 करोड़ रुपये महराजगंज ट्रांसफर कर दिए गए। बाकी धनराशि अब तक नहीं भेजी गई है जिससे जिले के सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षकों की देनदारी को लेकर विभाग के समक्ष वित्तीय संकट उत्पन्न हो सकता है।

 सेवानिवृति के बाद भी दो शिक्षकों को नहीं मिला भुगतान : गोरखपुर से जीपीएफ भुगतान नहीं मिलने से जिले के सेवानिवृत हुए दो शिक्षकों को अभी तक भुगतान नहीं मिला है। इसमें लक्ष्मीपुर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय परसौनी से सेवानिवृत हुए रामजन्म यादव का 27.15 लाख और पूर्व माध्यमिक विद्यालय मझौली के राधेश्याम गुप्त का 34.51 लाख रुपये देनदारी विभाग पर बाकी है।

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