UPS : जो लोग एनपीएस में अंशदान नहीं कर रहे उनके लिए यूपीएस नहीं लागू होगी ये केवल एनपीएस लेने वाले और भविष्य के कर्मचारियों के लिए होगी, योजना 1 अप्रैल 2025 से होगी लागू
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि केंद्रीय सरकार की नई पेंशन योजना यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में सुधार की कोशिश है। UPS के तहत कर्मचारियों को उनकी आखिरी तनख्वाह का 50% पेंशन मिलेगा। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। योजना के तहत केंद्र सरकार कर्मचारी 10% और सरकार 18.5% का योगदान करेगी।
- केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना UPS को दी है मंजूरी
- नई स्कीम मौजूदा नेशनल पेंशन सिस्टम को बेहतर बनाने का प्रयास: सीतारमण
- यूपीएस के तहत सरकारी कर्मचारियों को आखिरी सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना को मंजूरी दी है। इसका नाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बताया कि यह स्कीम मौजूदा नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को बेहतर बनाने का प्रयास है। यूपीएस के तहत सरकारी कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी। शुरुआत में लगभग 2,30,000 केंद्रीय कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। अगर राज्य सरकारें भी इस योजना को अपनाती हैं तो लाभार्थियों की संख्या बढ़कर 9,00,000 हो सकती है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने बिजनेस टुडे को बताया कि यूपीएस किसी भी राज्य के लिए अनिवार्य नहीं है। राज्य यूपीएस की तुलना ओपीएस और एनपीएस से कर सकते हैं और फिर फैसला ले सकते हैं। सीतारमण ने कहा कि 2025 में यूपीएस लागू होने के बाद एनपीएस को डिफॉल्ट रूप से रद्द किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह योजना फिलहाल केवल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए है।
क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम का मकसद?
यूपीएस के तहत सरकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10% और महंगाई भत्ता (DA) का योगदान करेंगे। जबकि सरकार 18.5% का योगदान करेगी। इसके अलावा सरकार की ओर से दिए गए अतिरिक्त 8.5% से एक अतिरिक्त पूल कॉर्पस भी बनाया जाएगा। यूपीएस नियमों के अनुसार, कर्मचारियों को उनके पिछले 12 महीनों के औसत मूल वेतन के 50% के बराबर पेंशन का आश्वासन दिया गया है।
यूपीएस का उद्देश्य ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) और नई पेंशन योजना (एनपीएस) के लाभों को मिलाकर एक व्यापक और समान सेवानिवृत्ति योजना बनाना है। यह योजना एक हाइब्रिड मॉडल के रूप में बनाई गई है, जो ओपीएस के समान निश्चित लाभ प्रदान करती है। साथ ही एनपीएस की तरह कॉन्ट्रिब्यूशन-बेस्ड फैक्टर को भी शामिल करती है।
पूर्व वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने यूपीएस की वित्तीय जिम्मेदारी पर प्रकाश डालते हुए कहा, 'यह वित्तीय रूप से विवेकपूर्ण है क्योंकि हमें इसे हर साल केंद्रीय बजट में अपने बजटीय राजकोषीय घाटे के भीतर एब्जॉर्ब करना होगा।' उन्होंने कहा कि यूपीएस पूरी तरह से वित्त पोषित और कॉन्ट्रिब्यूटरी है। यह सुनिश्चित करती है कि भविष्य की सरकारों पर कोई बोझ न पड़े।
यह नई योजना कर्मचारियों को नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में नामांकित रहने या यूपीएस में जाने का विकल्प प्रदान करती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कर्मचारियों की ओर से अपनी पेंशन योजना के चुनाव के बारे में लिया गया निर्णय बदला नहीं जा सकेगा। एनपीएस वर्तमान में सभी सरकारी अधिकारियों के लिए लागू है, सिवाय उन व्यक्तियों के जो सशस्त्र बलों में हैं और जिन्होंने 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद केंद्र सरकार की सेवा में प्रवेश किया है।
यूपीएस की कुछ खास बातें-
* अगर कर्मचारी यूपीएस के तहत 25 साल या उससे ज्यादा समय तक काम करते हैं तो उन्हें पेंशन के तौर पर पिछले 12 महीनों के अपने औसत वेतन का 50% मिलेगा, जिसे महंगाई भत्ते के जरिए महंगाई के हिसाब से एडजस्ट किया जाएगा।
* कर्मचारी का योगदान यूपीएस के तहत समान रहेगा। हालांकि, सरकार अपने योगदान को 14% से बढ़ाकर 18.5% करेगी।
* यूपीएस के तहत रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी के साथ एकमुश्त भुगतान मिलेगा। यह रिटायरमेंट की तरीख पर मासिक वेतन (वेतन + डीए) का 1/10वां हिस्सा होगा, जो पूरी की गई सेवा के प्रत्येक छह महीने के लिए होगा। यह भुगतान सुनिश्चित पेंशन राशि को कम नहीं करेगा।
* यूपीएस के तहत सेवानिवृत्त लोगों को न्यूनतम 25 साल की सेवा के लिए सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों में उनके औसत मूल वेतन का 50% प्राप्त होगा।
* कम सेवा अवधि के लिए पेंशन आनुपातिक होगी, जिसमें न्यूनतम 10 साल की सेवा होगी। न्यूनतम 10 साल की सेवा के बाद 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन दी जाएगी।
* यूपीएस के तहत पेंशन को महंगाई के हिसाब से इंडेक्स किया जाएगा। सेवारत कर्मचारियों की तरह महंगाई राहत औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीआई-आईडब्ल्यू) पर आधारित होगी।
* पेंशनभोगी की मौत होने पर उनके परिवार को पेंशन का 60% प्राप्त होगा।
* ओपीएस के उलट यूपीएस उत्पन्न होने वाली देनदारियों का आकलन करने के लिए बीमांकिक गणना पर आधारित है। हर तीन साल में एक बीमांकिक मूल्यांकन किया जाएगा।
* यूपीएस के प्रावधान पिछले एनपीएस सेवानिवृत्त लोगों पर लागू होंगे जो पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पिछली अवधियों के बकाया का भुगतान पीपीएफ दरों पर ब्याज के साथ किया जाएगा।
* एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि ओपीएस चुनने के बाद एनपीएस पर वापस नहीं जा सकते। सरकार के अनुसार, मौजूदा एनपीएस/वीआरएस कर्मचारियों और भविष्य के कर्मचारियों के पास यूपीएस में शामिल होने का विकल्प होगा। हालांकि, एक बार प्रयोग करने के बाद, चुनाव अंतिम होगा।
कौन सा विकल्प बेहतर?
केंद्र सरकार ने कहा है कि 99% से ज्यादा कर्मचारी नई योजना में जाने पर बेहतर स्थिति में होंगे। एनपीएस के तहत फंड के एक हिस्से को सेवानिवृत्ति के बाद एन्यूटी में निवेश किया जाना है। चूंकि भारत में एन्यूटी दरें कम हैं, इसलिए निवेश पर 50% रिटर्न प्राप्त करने के लिए पर्याप्त धनराशि की आवश्यकता होती है। यूपीएस के तहत गारंटीड 50% पेंशन एक सुरक्षित विकल्प है।
साभार आभार - नवभारत टाइम्स