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लखनऊ : मोबाइल से परिषदीय बच्चों के आकलन पर उठे सवाल, बेसिक शिक्षा विभाग में निपुण लक्ष्य ऐप से होता आकलन, चयनित स्कूलों में निपुण टेस्ट के लिए तैयारियां तेज

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लखनऊ : मोबाइल से परिषदीय बच्चों के आकलन पर उठे सवाल, बेसिक शिक्षा विभाग में निपुण लक्ष्य ऐप से होता आकलनचयनित स्कूलों में निपुण टेस्ट के लिए तैयारियां तेज


लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों का आकलन मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए किए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि जब विभाग बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें देता है और स्कूल में बच्चों की पढ़ाई भी किताबों व कार्य पुस्तिकाओं के द्वारा होती है तो फिर उनका मूल्यांकन किताबों की बजाए मोबाइल ऐप द्वारा क्यों किया जाता है?



बेसिक शिक्षा विभाग में बच्चों को निपुण बनाने के लिए कार्य योजना बनाई गई है। तीन चरणों में बच्चों का निपुण आंकलन किया जाना है। पहला चरण अगले माह आयोजित होगा। इस चरण के लिए चयनित स्कूलों में निपुण टेस्ट के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। 


तैयारियों के बीच कई तरह के सवाल भी खड़े हो गए हैं। अभिभावकों ने पूछा है कि आखिर हमारे बच्चों का आंकलन किताबों के द्वारा क्यों नहीं कराया जा रहा है। इससे बच्चों पर खराब प्रभाव पड़ेगा।


बच्चे कितना कर पाते हैं अभ्यास?

सवाल उठाए जा रहे हैं कि कक्षा कक्ष में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को मोबाइल ऐप से पढ़ने का कितना अभ्यास कर पाता है। शिक्षक अपने मोबाइल से यदि प्रतिदिन पांच से दस बच्चों को पढ़ने का अभ्यास कराता है तो भी प्रत्येक बच्चे को पूरे माह में आधा घंटा समय भी नहीं मिल पाता होगा। ऐप से पर्याप्त अभ्यास न होने पर आकलन के दौरान बच्चे कठिनाई का अनुभव महसूस करते हैं।


किताबों से क्यों नहीं कराते है आकलन?

अभिभावक प्रश्न करते हैं कि जब हमारे बच्चों को स्कूल में किताबों से पढ़ाया जाता है तो फिर किताबों के द्वारा ही उनका आंकलन किया जाना चाहिए। मोबाइल स्क्रीन से तो बच्चों को वैसे भी दूर रखा जाना चाहिए।

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