लखनऊ : माध्यमिक शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और स्वच्छ कार्य संस्कृति के लिए DGSE के सख्त निर्देश जारी, कार्यालयों में सीसीटीवी और बायोमेट्रिक हुई अनिवार्य
लखनऊ । प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग में पारदर्शी और स्वच्छ कार्य संस्कृति स्थापित करने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाने के निर्देश जारी किए हैं। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, कंचन वर्मा द्वारा जारी इस पत्र में मंडल और जनपद स्तर के कार्यालयों में स्वच्छ और प्रभावी कार्य प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों का उद्देश्य जनसामान्य, शिक्षकों और कर्मचारियों को समयबद्ध और पारदर्शी सेवाएं प्रदान करना है।
शासन के आदेश के तहत सभी कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे, और उनकी रिकॉर्डिंग को नियमित रूप से सुरक्षित रखा जाएगा। यह कदम भ्रष्टाचार और कार्यालयों में अनुशासनहीनता पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसके साथ ही, कार्यालय में काम करने वाले सभी कर्मचारियों की बायोमैट्रिक उपस्थिति अनिवार्य की गई है, ताकि कर्मचारियों की नियमितता और अनुशासन सुनिश्चित हो सके।
आदेश में यह भी कहा गया है कि कार्यालय में संदिग्ध व्यक्तियों और अवैधानिक गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जाए। आगंतुक पंजिका और गमनागमन पंजिका की व्यवस्था को भी अनिवार्य किया गया है, जिससे कार्यालय में अनावश्यक आवाजाही पर नियंत्रण हो सके।
महानिदेशक ने स्पष्ट किया है कि सरकारी कार्यों का समयबद्ध निस्तारण किया जाए, ताकि जनसामान्य, शिक्षक, और कर्मचारियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। कार्यालय में आने वाले जन प्रतिनिधियों और आगंतुकों की समस्याओं को विनम्रता से सुनने और नियमों के अनुसार उनका समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस आदेश का सबसे अहम पहलू यह है कि कार्यदिवस के दौरान शिक्षकों और कर्मचारियों के मण्डलीय या जनपदीय कार्यालयों में अनावश्यक रूप से घूमने पर रोक लगाई गई है, ताकि विद्यालयों में पठन-पाठन कार्य बाधित न हो। कार्यालयों में अनावश्यक बाहरी व्यक्तियों के आने पर भी सख्त प्रतिबंध लगाया गया है।
क्या इन निर्देशों से आएगी कार्य संस्कृति में सुधार?
शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता पर लगाम लगाने के इस प्रयास को सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या इन सख्त निर्देशों से कार्य संस्कृति में वास्तविक सुधार होगा या यह सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा?
सरकार की यह पहल जनसामान्य को बेहतर और पारदर्शी सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई है। अब देखना यह है कि इन सख्त निर्देशों का वास्तविक प्रभाव कार्यालयों में कब और कैसे दिखाई देता है।