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लखनऊ : PFRDA एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करे सरकार, कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनरों ने सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल

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लखनऊ : PFRDA एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करे सरकार, कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनरों ने सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल

PFRDA एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करे सरकार, कर्मचारियों ने उठाई मांग, पीएम और सीएम को भेजा ज्ञापन

मांग दिवस पर कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनरों ने सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल


लखनऊ। पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करने, निजीकरण और आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने सहित अन्य मांगों को लेकर कर्मचारी, शिक्षकों और पेंशनरों ने बृहस्पतिवार को मांग दिवस मनाया।

कर्मचारियों ने अपना 18 सूत्रीय मांग पत्र प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को प्रेषित किया। इस दौरान कर्मचारियों ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाये।

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के आवाहन पर उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के बैनर तले तमाम विभागों के कर्मचारी शिक्षक और पेंशनरों ने बड़ी संख्या में केडी सिंह बाबू स्टेडियम के समीप स्थित स्व. बीएन सिंह प्रतिमा स्थल पर एकत्रित होकर मांग दिवस मनाया।

कर्मचारियों ने पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करने और निजीकरण व आउटसोर्स से भर्तियों पर रोक लगाने की मांग जोरदार तरीके से उठाई। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा ने कहा कि प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय पर आज मांग दिवस मनाया जा रहा है।



उन्होंने कहा कि देश के कर्मचारी, शिक्षक और मेहनतकश समुदाय की सामाजिक रु।था कठिन दौर से गुजर रही है। उत्तर प्रदेश के पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरनाथ यादव ने कहा कि सरकार की नितियां कर्मचारी वर्ग व पेंशनर्स के पक्ष मे नहीं है।

अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एसपी सिंह ने कहा कि एकता बनाए रखने की अपील की। उन्होंने जब भी एकता कमजोर होती है तो हमें नुकसान उठाने पड़ते हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमल अग्रवाल ने कहा कि त्याग तपस्या एवं बलिदान ही महासंघ की पहचान। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर लम्बे समय से आंदोलन मे हैं लेकिन शासन में बैठे अधिकारी, कर्मचारी नेताओं से वार्ता भी नहीं कर रहा हैं।

उन्होंने इससे भविष्य मे कर्मचारी आंदोलन करने के लिए विवश हैं। राज्य कर्मचारी महासंघ की महामंत्री (महिला) निधि ने कहा कि कार्य स्थलों पर विशाखा गइड लाइन का पालन नहीं हो रहा है। कार्य स्थलों पर महिलाओं को शासकीय कार्य सुचारु रुप से वितरित नहीं किये जा रहे हैं।

राज्य कर्मचारी महासंघ जिलाध्यक्ष अफीफ सिददीकी ने बताया कि कर्मचारियों का मांग पत्र प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया है।


कर्मचारियों की मुख्य मांगें

■ पीएफआरडीए एक्ट रद कर पुरानी पेंशन बहाली। पुरानी पेंशन बहाली करने वाले राज्यों के एनपीएस में जमा अंशदान वापस हो। ईपीएस 95 के सभी ग्राहकों को पुरानी पेंशन के दायरे में लाया जाए।

■ सभी संविदा ठेका कर्मियों को नियमित किया जाए। ठेका संविदा, आउटसोर्स, दैनिक वेतनभोगी भर्ती पर रोक लगाई जाए। सभी प्रकार के खाली पदों को नियमित भर्ती से भरा जाए।

■ पीएसयू के निजीकरण, निगमीकरण को रोक लगाई जाए और सरकारी विभागों को सिकोड़ना बंद किया जाए।

■ पांच साल में एक बार पे रिवीजन करना सुनिश्चित किया जाए। सभी बकाया डौए-डीआर का भुगतान हो।

■ नेशनल एजुकेशन पॉलिसी वापस ली जाए।

■ संविधान के अनुच्छेद 310,311 (2) ए, बी एंड सी को निरस्त किया जाए। नए तीन आपराधिक कानूनों को निरस्त किया जाए।

■ संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखा जाए और सभी प्रकार की सांप्रदायिकता को कड़ाई से रोकने के सख्त कदम उठाए जाए। 

■ आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दस लाख रुपये की जाए।

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