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लखनऊ : यूपी में छात्रों पर कम होगा पढ़ाई का दबाव, तीन साल का स्नातक कोर्स अब 132 की जगह 120 क्रेडिट में होगा पूरा

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लखनऊ : यूपी में छात्रों पर कम होगा पढ़ाई का दबाव, तीन साल का स्नातक कोर्स अब 132 की जगह 120 क्रेडिट में होगा पूरा 

अब सभी राज्य विवि में 20 क्रेडिट का एक सेमेस्टर 

कुलपतियों की समिति की रिपोर्ट सभी राज्य विश्वविद्यालयों में होगी लागू


लखनऊ। प्रदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले लाखों विद्यार्थियों पर इसी सत्र से पढ़ाई का दबाव कम होगा। राज्य विश्वविद्यालयों में अब एक सेमेस्टर 23 की जगह 20 क्रेडिट का ही होगा। वहीं तीन साल की डिग्री 132 की जगह 120 क्रेडिट में पूरी होगी। जबकि चार साल की डिग्री 160 क्रेडिट में मिलेगी, जो अभी 184 की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य छात्रों पर पढ़ाई व परीक्षा के दबाव को कम करना है। इसके तहत जहां क्रेडिट फ्रेमवर्क लागू किया गया। वहीं मुख्य विषय के क्रेडिट कम करके को-कॅरिकुलर व वोकेशनल कोर्स को भी शामिल किया गया है। 



इसके माध्यम से छात्रों में कौशल विकास किया जा रहा है। यूजीसी की ओर से पूर्व में कॅरिकुलर एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर फोर ईयर यूजी प्रोग्राम (एफवाईयूपी) जारी किया गया था। इसी क्रम में प्रदेश में कुलपतियों की समिति गठित कर एफवाईयूपी नीति तैयार की गई है। अब उच्च शिक्षा विभाग ने चार वर्षीय यूजी कार्यक्रम क्रेडिट फ्रेमवर्क के लिए गठित समिति के सुझाव भेजते हुए सभी राज्य विश्वविद्यालयों को इसे इसी करने को कहा है।


सत्र से लागू इसमें बताया गया है कि दो साल में यह महसूस किया गया है कि छात्रों पर क्रेडिट का भार ज्यादा है। इसे कम किया जा सकता है। इसे देखते हुए अब 20 क्रेडिट का एक सेमेस्टर कर दिया गया है। छात्र न्यूनतम 40 क्रेडिट पाकर एक वर्षीय सर्टिफिकेट, न्यूनतम 80 क्रेडिट लाकर दो वर्षीय डिप्लोमा, न्यूनतम 120 क्रेडिट पर तीन वर्षीय स्नातक व 160 क्रेडिट पर चार वर्षीय स्नातक (मानद) ले सकेंगे। इसी क्रम में 200 क्रेडिट लाने पर पीजी व न्यूनतम 216 क्रेडिट लाकर पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रिसर्च (पीजीडीआर) की डिग्री मिलेगी।


एक से दूसरे विवि में आसान होगा ट्रांसफर

प्रदेश में पूरी तरह से एनईपी को सबसे पहले लागू करने वाला लखनऊ विश्वविद्यालय 20 क्रेडिट के सेमेस्टर सिस्टम की इसी सत्र से लागू कर रहा है। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बताया कि इस बदलाव से सिलेबस कम होगा तो विद्यार्थियों का दबाव खुद ही कम होगा। विश्वविद्यालय ने इसके अनुस्वार अपना सिलेबस व पाठ्यक्रम संशोधित किया है। वहीं इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों का एक से दूसरे विश्वविद्यालय में आसानी से ट्रांसफर हो सकेगा।


विवि संबद्ध संस्थानों को दे सकेंगे मान्यता

प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल की ओर से सभी राज्य विश्वविद्यालयों को इसका प्रारूप भेजकर इसे प्रभावी करने को कहा गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इसी नए प्रारूप के अनुसार विश्वविद्यालय अपने संबद्ध संस्थानों को चार वर्ष का स्नातक कोर्स चलाने की मान्यता दे सकेंगे। इसका पाठ्यक्रम स्नातक के तीन साल व पीजी के प्रथम वर्ष को जोड़कर माना जाएगा। इतना ही नहीं विश्वविद्यालय तीन वर्षीय पाठ्यक्रम को उच्चीकृत करने की भी अनुमति दे सकते हैं।

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