लखनऊ : 15 साल पेंशन कटौती के खिलाफ हाईकोर्ट गए पेंशनरों को मिली राहत, पेंशन बेचने के बाद कटौती अवधि घटाने के लिए दायर की गईं 100 से ज्यादा याचिकाएं
लखनऊ। हाईकोर्ट ने पेंशनधारकों को पेंशन राशिकरण (पेंशन बेचने) के बाद होने वाली पेंशन कटौती अवधि में राहत दी है। फिलहाल ये राहत 100 से ज्यादा याचिकाएं दायर करने वाले पेंशनधारकों को ही मिलेगी। वित्त विभाग ने भी कोर्ट जाने वालों की कटौती रोक दी है और याचिकाओं पर काउंटर की तैयारी कर रहा है। वित्त विभाग हाईकोर्ट को पेंशन राशिकरण सुविधा के फायदे बताएगा। इसके बाद कोर्ट फैसला करेगा कि कटौती अवधि कितनी की जाए। फिर इसे कैबिनेट को भेजा जा सकता है।
इस समय प्रदेश में 12 लाख से ज्यादा पेंशनर हैं। अगर कटौती अवधि घटती है तो पेंशन बेचने वाले लाखों लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा। सेवानिवृत्ति के बाद 40 फीसदी तक पेंशन बेचकर नगदीकरण का प्रावधान है। इसके एवज में 15 साल तक कटौती होती है। फिर पूरी पेंशन मिलना शुरू हो जाती है। याचिका में कहा गया कि हरियाणा, पंजाब, गुजरात में कटौती अवधि 11 से 13 वर्ष ही है। कई राज्यों में ये अवधि 131 महीने है। हालांकि, वित्त विभाग ने पड़ताल में पाया कि पड़ोसी राज्यों में ये अवधि 161 महीने है।
पेंशन बेचने वाले पेंशनरों की दलील
पेंशन बेचने वाले सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों की मांग है कि कटौती अवधि 15 से घटाकर 10 वर्ष की जाए। उनकी दलील है कि 15 वर्ष की अवधि का निर्धारण तब किया गया था, जब बैंक का ब्याज 12 फीसदी था। अभी ब्याज दर 6 फीसदी है। लिहाजा, वसूली की अवधि 15 वर्ष करना उचित नहीं है।
पेंशन राशिकरण पर विभाग की दलील
पेंशन राशिकरण की तुलना वित्तीय संस्था के लोन से नहीं की जा सकती। ये पेंशनर को सेवानिवृत्त के बाद जरूरत पड़ने पर एकमुश्त रकम उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से दी गई सुविधा है। पेंशन का एक हिस्सा नगद लेने के बावजूद अगर अगले ही दिन पेंशनर का निधन हो जाए तो सरकार उसे माफ कर देती है। यानी नगद ली गई रकम की वसूली परिजनों से नहीं की जाती है। पारिवारिक पेंशन भी बिना कटौती के मिलती है। वहीं, महंगाई भत्ता पूरी पेंशन पर मिलता है।