गोण्डा : सोमवार को नामांकन प्रक्रिया पूरी परिषदीय स्कूलों में घट गए 46 हजार विद्यार्थी
गोंडा। जिले के परिषदीय विद्यालय में सोमवार को प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो गई। इस बार पिछले वर्ष का आंकड़ा भी पार नहीं किया जा सका। परिषदीय विद्यालयों में 46 हजार से अधिक विद्यार्थी घट गए हैं। आलम यह है कि 345 से अधिक विद्यालयों में 50 से भी कम बच्चों का नामांकन हुआ है। ऐसे में सरकार की स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए चली कवायदें नाकाम नजर आ रही हैं।
शैक्षणिक सत्र 2023-24 में जिले के 2610 विद्यालयों में 3.56 लाख विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे थे। मगर एक अप्रैल से 30 सितंबर तक चली नामांकन प्रक्रिया में महज 40 हजार बच्चों का ही नामांकन हो सका है। जिला समन्वयक (सामुदायिक शिक्षा) प्रेमशंकर मिश्र ने बताया कि सत्र के अंत तक 3.10 लाख बच्चे पढ़ाई करेंगे। सोमवार को नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है। स्कूल का समय सुबह नौ से तीन बजे तक है। वहीं, झंझरी के रामनगर बनकट, अमर शहीद राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, तुलसीपुर कारोरी, नौबरा, मिसरनपुरवा और नेवारा समेत 346 विद्यालयों में 50 से कम नामांकन है।
कई विद्यालयों में तो बच्चों का आंकड़ा दहाई में भी नहीं पहुंच सका है। जबकि परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से यूनिफॉर्म, नि:शुल्क किताबें और मध्याह्न भोजन योजना समेत तमाम तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। बावजूद इसके खराब शैक्षणिक गुणवत्ता की वजह से परिषदीय विद्यालयों से अभिभावकों व बच्चों को मोहभंग हुआ है।
जिले के अधिकारी पारदर्शिता के पैमाने पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। पिछले साल ही यू-डायस पोर्टल पर आधार के माध्यम से नामांकन के बाद हजारों विद्यार्थी घट गए थे। वहीं इस बार नामांकन बढ़ाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। ऐसे में स्कूल चलो अभियान समेत तमाम तरह की रणनीति छात्रों की संख्या बढ़ाने में असफल रही। आरोप है कि जगह-जगह मानक विहीन निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं। बावजूद इसके उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
बीएसए अतुल कुमार तिवारी ने बताया कि नौ से तीन बजे तक विद्यालय संचालित किए जाएंगे। प्रवेश प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। बेहतर पठन-पाठन के लिए निर्देश दिए गए हैं। वहीं लापरवाह शिक्षकों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी।
जिले के अधिकारी पारदर्शिता के पैमाने पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। पिछले साल ही यू-डायस पोर्टल पर आधार के माध्यम से नामांकन के बाद हजारों विद्यार्थी घट गए थे। वहीं इस बार नामांकन बढ़ाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। ऐसे में स्कूल चलो अभियान समेत तमाम तरह की रणनीति छात्रों की संख्या बढ़ाने में असफल रही। आरोप है कि जगह-जगह मानक विहीन निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं। बावजूद इसके उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।