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लखनऊ : स्कूली बच्चों को यूनिफार्म पर एक माह में लें निर्णय, हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा व समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिवों को दिया आदेश

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लखनऊ : स्कूली बच्चों को यूनिफार्म पर एक माह में लें निर्णय, हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा व समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिवों को दिया आदेश


लखनऊः इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित स्कूलों के बच्चों को यूनिफार्म की सुविधा दिए  जाने के मामले में एक माह में निर्णय - लेने का आदेश दिया है। न्यायालय  ने कहा है कि इस संबंध में जो भी निर्णय लिया जाता है उसे हलफनामा के माध्यम दाखिल किया जाए अथवा बेसिक शिक्षा विभाग व समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये अगली सुनवाई उपस्थित पर हों। मामले की अगली सुनवाई नवंबर के पहले सप्ताह में होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन राय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने यूपी अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय शिक्षक एसोसिएशन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है।

याचिका पर तीन अप्रैल को सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दोनों प्रमुख सचिवों का जवाबी हलफनामा मांगा था, लेकिन कई महीने बीत जाने के बावजूद - हलफनामा न दाखिल होने पर - न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए - दोनों अधिकारियों को हलफनामा दाखिल करने अथवा हाजिर होने का आदेश दिया था। न्यायालय के सख्ती के बाद दोनों अधिकारियों की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि मामले में निर्णय के लिए एक माह का समय दिया जाए।



समाज कल्याण के स्कूलों में यूनिफॉर्म न देने के मामले में एक माह में फैसला ले विभाग – हाईकोर्ट
 

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के बेसिक स्कूलों की तरह समाज कल्याण विभाग से संचालित स्कूलों में विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म न देने के मामले में महीने भर में निर्णय लेकर जानकारी पेश करने का आदेश दिया है। 



कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर नवंबर के पहले हफ्ते में होने वाली सुनवाई पर हलफनामा दाखिल न हुआ तो बेसिक शिक्षा और समाज कल्याण विभागों के प्रमुख सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट में पेश होना होगा। इससे पहले सरकारी वकील ने दोनों प्रमुख सचिवों का जवाबी हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि मामले में निर्णय लेने में महीने भर का समय लगेगा।


 न्यायमूर्ति राजन रॉय और ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश यूपी अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय शिक्षक सहायक समिति लखनऊ के महासचिव द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर दिया। 

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