महराजगंज : घुघली ब्लाॅक में सामुदायिक सहयोग ने बदली परिषदीय स्कूल की तस्वीर
महराजगंज। घुघली ब्लाॅक में एक ऐसे कंपोजिट स्कूल ने टॉप 12 में स्थान हासिल किया है जो पशुओं के चरागाह के रूप में पहचाना जाता था। स्कूल परिसर में 2007 से पहले तक बच्चे कम मवेशियों के साथ चरवाहे अधिक देखें जाते थे। इसके बाद यहां तैनात हुए प्रधानाध्यापक ने स्कूल की तस्वीर ही बदल दी।
सामुदायिक सहयोग से इस स्कूल में हर वह जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं जो निजी स्कूलों में भी होती हैं। मौजूदा समय में यहां 174 बच्चों का नामांकन है। घुघली विकास खंड के कंपोजिट विद्यालय अमोढ़ा में 2007 से पहले तक विद्यार्थियों की संख्या गिनी-चुनी रहती थी। स्कूल परिसर में बाउंड्री न होने के कारण चरवाहे अक्सर अपने मवेशियों के साथ परिसर में जमे रहते थे।
वर्ष 2007 की जुलाई में यहां रिजवानुल्लाह खां को प्रधानाध्यापक नियुक्त किया गया। उन्होंने अपनी मेहनत और सूझबूझ से स्कूल का कायाकल्प करवा दिया। इंटरनेट मीडिया व विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उन्होंने सामुदायिक भागीदारी के लिए लोगों को इस कदर जागरूक किया कि इस स्कूल के लिए लोगों ने बेहिचक सहयोग करना प्रारंभ किया। देखते ही देखते स्कूल हर जरूरी सुविधाओं से आच्छादित हो गया।
सोशल प्लेटफार्म पर स्कूल के सहयोग के लिए डाले गये प्रधानाध्यापक के संदेश से प्रभावित होकर स्थानीय ही नहीं बाहर के व्यापारियों ने भी खुले दिल से सहयोग किया। कोलकाता के व्यवसायी हजारीमल सिलसिलेवाला ने 50 हजार रुपये की एकमुश्त राशि स्मार्ट क्लास के लिए दी। स्थानीय व्यापारी गणेश अग्रवाल ने इन्वर्टर, नवल किशोर यादव ने प्रिंटर, दीपक जायसवाल ने स्कूल के लिए सीलिंग फैन तो नीतेश कुमार ने चार कम्प्यूटर व वाटर कूलर उपलब्ध करा दिया। सामुदायिक सहयोग से इस समय स्कूल में कुल पांच कम्प्यूटर हो गए हैं।
सीसीटीवी भी लगाया जा चुका है। एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से स्कूल में पुस्तकालय भी है। बालिका शिक्षा व खेलकूद गतिविधियों में स्कूल अग्रणी रहता है। राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा में स्कूल के तीन विद्यार्थियों ने सत्र 2023-24 में चयनित होकर स्कूल का नाम आगे बढ़ाया है। मौजूदा समय में यह स्कूल जनपद के टाॅप 12 स्कूलों में गिना जाता है।
स्कूल में बेहतर पठन पाठन का माहौल बनाने का हमने प्रयास किया जिसमें सामुदायिक सहयोग मिलता गया। बच्चों की उपस्थिति बनाए रखने के लिए घर घर जनसंपर्क किया जाता है। विद्यालय का भौतिक परिवेश बदलने के लिए 150 गमले स्कूल परिसर में लगवाए गए हैं। स्कूल की बागवानी से भी बच्चों को जोड़ा जाता है।
-रिजवानुल्लाह खां, प्रधानाध्यापक, कंपोजिट स्कूल अमोढ़ा
वर्ष 2007 की जुलाई में यहां रिजवानुल्लाह खां को प्रधानाध्यापक नियुक्त किया गया। उन्होंने अपनी मेहनत और सूझबूझ से स्कूल का कायाकल्प करवा दिया। इंटरनेट मीडिया व विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उन्होंने सामुदायिक भागीदारी के लिए लोगों को इस कदर जागरूक किया कि इस स्कूल के लिए लोगों ने बेहिचक सहयोग करना प्रारंभ किया। देखते ही देखते स्कूल हर जरूरी सुविधाओं से आच्छादित हो गया।
सोशल प्लेटफार्म पर स्कूल के सहयोग के लिए डाले गये प्रधानाध्यापक के संदेश से प्रभावित होकर स्थानीय ही नहीं बाहर के व्यापारियों ने भी खुले दिल से सहयोग किया। कोलकाता के व्यवसायी हजारीमल सिलसिलेवाला ने 50 हजार रुपये की एकमुश्त राशि स्मार्ट क्लास के लिए दी। स्थानीय व्यापारी गणेश अग्रवाल ने इन्वर्टर, नवल किशोर यादव ने प्रिंटर, दीपक जायसवाल ने स्कूल के लिए सीलिंग फैन तो नीतेश कुमार ने चार कम्प्यूटर व वाटर कूलर उपलब्ध करा दिया। सामुदायिक सहयोग से इस समय स्कूल में कुल पांच कम्प्यूटर हो गए हैं।
स्कूल में बेहतर पठन पाठन का माहौल बनाने का हमने प्रयास किया जिसमें सामुदायिक सहयोग मिलता गया। बच्चों की उपस्थिति बनाए रखने के लिए घर घर जनसंपर्क किया जाता है। विद्यालय का भौतिक परिवेश बदलने के लिए 150 गमले स्कूल परिसर में लगवाए गए हैं। स्कूल की बागवानी से भी बच्चों को जोड़ा जाता है।
-रिजवानुल्लाह खां, प्रधानाध्यापक, कंपोजिट स्कूल अमोढ़ा
आभार साभार-अमर उजाला