एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़ें

जनपदवार खबरें महराजगंज लखनऊ इलाहाबाद प्रयागराज गोरखपुर उत्तर प्रदेश फतेहपुर सिद्धार्थनगर गोण्डा बदायूं कुशीनगर सीतापुर बलरामपुर संतकबीरनगर देवरिया बस्ती रायबरेली बाराबंकी फर्रुखाबाद वाराणसी हरदोई उन्नाव सुल्तानपुर पीलीभीत अमेठी अम्बेडकरनगर सोनभद्र बलिया हाथरस सहारनपुर श्रावस्ती बहराइच मुरादाबाद कानपुर अमरोहा जौनपुर लखीमपुर खीरी मथुरा फिरोजाबाद रामपुर गाजीपुर बिजनौर बागपत शाहजहांपुर बांदा प्रतापगढ़ मिर्जापुर जालौन चित्रकूट कासगंज ललितपुर मुजफ्फरनगर अयोध्या चंदौली गाजियाबाद हमीरपुर महोबा झांसी अलीगढ़ गौतमबुद्धनगर संभल हापुड़ पडरौना देवीपाटन फरीदाबाद बुलंदशहर

Search Your City

नई दिल्ली : 'न्याय की देवी' की आंखों से हट गई पट्टी; हाथ में तलवार की जगह आया संविधान; समझें इस बदलाव का क्या है मतलब?

0 comments
नई दिल्ली : 'न्याय की देवी' की आंखों से हट गई पट्टी; हाथ में तलवार की जगह आया संविधान; समझें इस बदलाव का क्या है मतलब?


देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में न्याय की देवी की नई प्रतिमा लगाई गई है, जिसकी आंखें खुली हैं। नई प्रतिमा के दायें हाथ में तराजू है और बाएं हाथ में संविधान का प्रति।


देश की सर्वोच्च अदालत में बुधवार को 'न्याय की देवी' की नई प्रतिमा लगाई गई है। इसमें कई बदलाव किए गए हैं। नई प्रतिमा की आंखों से पट्टी हटा दी गई है। इसके अलावा एक हाथ में अब तलवार की जगह संविधान थमाई गई है। ताकि यह संदेश दिया जा सके कि देश में कानून अंधा नहीं है और न ही यह दंड का प्रतीक है। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर ये बदलाव किए गए हैं। 'न्याय की देवी' की नई प्रतिमा, सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है।



न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी कानून के समक्ष सभी की बराबरी का सूचक रहा है। इसका यह मतलब है कि अदालतें अपने सामने आने वाले सभी फरियादियों और वादियों की संपत्ति, शक्ति, जाति-धर्म, लिंगभेद, रंगभेद या किसी अन्य सामाजिक स्थिति के आधार पर फैसला नहीं करती हैं, जबकि तलवार अधिकार और अन्याय को दंडित करने की शक्ति का प्रतीक है। 


सुप्रीम कोर्ट के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में न्याय की देवी की नई प्रतिमा में आंखें खुली हैं। नई प्रतिमा के दायें हाथ में तराजू है और बाएं हाथ में संविधान। इससे पहले न्याय की देवी की पुरानी प्रतिमा में बाएं हाथ में तराजू और दाएं हाथ में तलवार थी। नई प्रतिमा के वस्त्र में भी बदलाव किया गया है। सुप्रीम कोर्ट सूत्रों के अनुसार ‘न्याय के तराजू को प्रतिमा के दाहिने हाथ में इसलिए रखा गया है क्योंकि यह समाज में संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है और इसके पीछे यह विचार है कि अदालतें किसी मामले में फैसले पर पहुंचने से पहले दोनों पक्षों के तथ्यों और तर्कों को तौलता है।


इस कदम को औपनिवेशिक विरासत को पीछे छोड़ने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। कुछ समय पहले ही अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कानून बदले गए हैं। अब भारतीय न्यायपालिका ने ब्रिटिश कालीन परंपराओं को भी पीछे छोड़ते हुए नया रंगरूप अपनाना शुरू कर दिया है। 


बता दें कि हाल ही में भारतीय दंड संहिता जैसे औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) से बदल दिया गया है। इसके अलावा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) एक जुलाई 2024 से लागू हुए हैं। इन नए कानूनों को लागू करने के पीछे का मकसद, भारत की न्याय प्रणाली को बेहतर बनाना और औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करना है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।