प्रयागराज : निलंबन के खिलाफ आए बीएस को हाईकोर्ट ने भी दिया था झटका
प्रयागराज। आय से अधिक संपत्ति - मामले में तीन साल की सजा पाए - सेवानिवृत्त पीसीएस अधिकारी भगवत सागर (बीएस) ओझा ने 2014 में निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। हाईकोर्ट ने उनकी तमाम दलीलों को खारिज करते हुए जोर का झटका दिया था।
- हाईकोर्ट में दाखिल अर्जी में बीएस ओझा ने दलील दी थी कि उन्हें यूपी कैडर से दो साल के लिए गैस - अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) की प्रतिनियुक्ति मिली थी। इस - दौरान नोएडा में गेल के लिए भूमि अधिग्रहण हुआ, जिसके बदले किसानों को दी गई मुआवजा राशि में रिश्वत लेने के आरोप लगे।
2013 में एक मामले में 20 हजार रुपये रिश्वतखोरी करते उनके कार्यालय के लिपिक शशि कांत पांडे को पकड़ा भी गया। इसके बाद जांच हुई जिसमें उनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे।
सेवानिवृत्त अधिकारी ने गेल ज्वाइन करने के बाद जुटाई थीं दर्जनभर संपत्तियां
सीबीआई जांच में बीएस ओझा और उनके बेटे धीरज ओझा के गोविंदपुर स्थित पीएनबी के लॉकर में 17.83 किलो और पांच किलो चांदी पकड़ी गई थी। जांच में यह भी पाया गया कि ओझा ने गेल ज्वाइन करने के बाद अपने रिश्तेदारों के नाम पर 12 संपत्तियां भी खरीदी हैं।
ऐसे तथ्यों के सामने आने के बाद डीआईजी सीबीआई ने गेल के विजिलेंस अधिकारी को उनके खिलाफ कार्रवाई को लिखा था, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया। इसी के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे ओझा और सीबीआई की दलीलों को सुनकर न्यायमूर्ति सत्येंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा की अदालत ने बीएस ओझा की याचिका 24 अप्रैल 2014 को खारिज कर दी थी।
आभार साभार-अमर उजाला