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नई दिल्ली : देश की शीर्ष 10 PhD थीसिस को मिलेगा एक्सीलेंस सम्मान, UGC का ऐलान

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नई दिल्ली : देश की शीर्ष 10 PhD थीसिस को मिलेगा एक्सीलेंस सम्मान, UGC का ऐलान 

चिकित्सा, कृषि, इंजीनियरिंग, समाज विज्ञान, भारतीय भाषा और मैनेजमेंट के शोधार्थियों को होगा लाभ


नई दिल्ली। भारतीय विश्वविद्यालयों में शोध को बढ़ावा देने के लिए 2025 से हर साल 10 पीएचडी थीसिस को एक्सीलेंस सम्मान मिलेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 'पीएचडी एक्सीलेंस सम्मान' के लिए इससे जुड़े पोर्टल को एक जनवरी से खोलने का फैसला लिया है।

यूजीसी ने सभी राज्यों और विश्वविद्यालयों को पोर्टल और योजना का मसौदा भेज दिया है। इसमें मेडिकल, एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सोशल साइंस, भाषा, कॉमर्स और मैनेजमेंट के शोधार्थियों को सीधे लाभ मिलेगा।



यूजीसी अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदेश कुमार ने बताया की देश में पीएचडी के के दौरान शोध को बढ़ावा देने के लिए शोधार्थियों को सम्मानित करने का फैसला लिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 'पीएचडी उत्कृष्टता प्रशस्ति पत्र देने का मसौदा तैयार हुआ है।

इसमें चिकित्सा, कृषि, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, समाज विज्ञान, इंडियन लैंग्वेज, कॉमर्स, मैनेजमेंट में प्रति स्ट्रीम दो बेहतरीन थीसिस को चुना जाएगा। चयन के लिए पोर्टल के माध्यम से नामांकन करना होगा।


दो स्तर पर चयन

यूजीसी ने दी स्तरीय चयन प्रक्रिया बनाई है। इसमें विश्वविद्यालय स्तर पर एक स्क्रीनिंग समिति और यूजीसी स्तर पर एक अंतिम चयन समिति शामिल है। मूल्यांकन में मौलिकता, ज्ञान में योगदान, शोथ पद्धति, स्पष्टता, प्रभाव और बेसिस की समध प्रस्तुति पर विचार किया जाएगा। इसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय, स्टेट व डोम्ड-टू-वी यूनिवर्सिटी और निजी विश्वविद्यालय भी भाग ले सकते हैं। इसमें राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) से मान्यताप्राप्त और पूजीसी अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय ही भाग ले सकते हैं।


पीएचडी में 10 फीसदी की दर से बढ़ रहे दाखिले

यूजीसी के अनुसार पीएचडी शोध में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2010-11 में 77,798 दाखिले हुए थे। वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 161,412 पहुंच गया। इसमें प्रतिवर्ष 10 फीसदी की वृद्धि हो रही है। सबसे अधिक 30 फीसदी साइंस स्ट्रीम में पीएचडी दाखिले होते हैं। इसके बाद इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी में 26 फीसदी, सोशल साइंस में 12 फीसदी, इंडियन लैंग्वेज व मैनेजमेंट में छह-छह फीसदी, कृषि विज्ञान में चार, चिकित्सा क्षेत्र, एजुकेशन में पांच-पांच फीसदी शेोधार्थी प्रवेश ले रहे हैं।

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