लखनऊ : एनओसी की शर्त अब भी ऐडेड डिग्री शिक्षकों के तबादले की बड़ी बाधा
नई नियमावली लागू होने के बाद इंतजार कर रहे एडेड डिग्री कॉलेजों के सभी इच्छुक शिक्षक अब ट्रांसफर के लिए पात्र हो जाएंगे। वजह यह है कि तीन साल से कोई भर्ती नहीं हुई है। ऐसे में लगभग सभी शिक्षक तीन साल की सेवा पूरी कर चुके हैं। नई नियमावली के अनुसार तीन साल पूरा कर चुके शिक्षक ट्रांसफर के लिए पात्र होंगे। हालांकि, प्रबंधतंत्र से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) की अनिवार्यता ट्रांसफर की एक बड़ी बाधा है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि इसे समाप्त करवाने की मुहिम जल्द तेज की जाएगी।
शिक्षक सरकार के सेवा अवधि शर्त घटाने के फैसले से खुश हैं, लेकिन उनका कहना है कि प्रबंधतंत्रों से NOC की बाध्याता समाप्त कर देनी चाहिए। अभी जो नियम है उसके अनुसार जिस कॉलेज में शिक्षक को जाना है, वहां पद खाली होना चाहिए। साथ ही जिस कॉलेज से जाना है और जहां जाना है, दोनों के प्रबंधतंत्र से NOC लेना जरूरी है। यह NOC लेना ही सबसे मुश्किल काम है। लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय कहते हैं कि संगठन लगातार यह मांग कर रहा है कि NOC की बाध्यता समाप्त की जाए। तबादले भी ऑनलाइन किए जाएं।
रोस्टर के अनुसार तबादले
तीन साल पहले सरकार ने रोस्टर सिस्टम भी लागू कर दिया है। लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु बताते हैं कि तबादलों के लिए जरूरी शर्त यह है कि जिस कॉलेज से जाना है और जहां जाना है, दोनों में एक ही कैटेगरी का पद खाली होना चाहिए। अगर दोनों जगह सामान्य का है या फिर दोनों जगह एससी या फिर दोनों जगह ओबीसी का पद खाली है, तभी तबादला होगा। दूसरी कैटेगरी का पद खाली होने पर तबादला नहीं हो सकता। डॉ. मौलीन्दु कहते हैं कि यह अच्छा हुआ कि तबादलों का रास्ता खुल गया। शिक्षक तबादले के लिए आवेदन कभी भी कर सकते हैं। तबादला जून में किया जाएगा।
दो साल से ट्रांसफर नहीं
शिक्षक इस बात से खुश हैं कि अब तबादले हो सकेंगे। दो साल से शिक्षकों के तबादले ही नहीं हुए थे। वजह यह है कि पहले उच्च और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग अलग-अलग थे। वहीं, बेसिक शिक्षकों का तबादला बेसिक शिक्षा परिषद से होता है। तीनों को मिलाकर एक आयोग बन जाने से डिग्री कॉलेजों के तबादले बंद थे, क्योंकि उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग भंग हो गया था और नया आयोग बना नहीं था।
ऐसे कम होती गई अवधि
प्रदेश में 331 एडेड डिग्री कॉलेज हैं। इनमें कुल लगभग 10,500 शिक्षक हैं। तबादला नीति 2005 के अनुसार पहले यह शर्त थी कि 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद ही शिक्षक का तबादला हो सकता है। इसके बाद 2012 में संशोधन हुआ और अधिकतम सेवा की शर्त पांच साल कर दी गई और मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सेवा शर्त घटाकर तीन साल कर दी गई है।
सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों को अब तीन साल में ही तबादले का मौका, कैबिनेट ने नियमावली 2024 को दी मंजूरी, शिक्षक पूरे सेवा काल में एक बार ले सकेंगे लाभ
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। प्रदेश के 331 एडेड कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को पांच साल की न्यूनतम सेवा की जगह सिर्फ 3 साल की सेवा के बाद तबादले का अवसर मिलेगा। इसके लिए कैबिनेट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानांतरण नियमावली 2024 को मंजूरी दी है। प्रदेश में कार्यरत 10 हजार शिक्षक लंबे समय से तबादला नीति में संशोधन की मांग कर रहे थे। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि नई उच्चतर सेवा नियमावली 2024 के अनुसार प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों के स्थायी शिक्षक अब केवल तीन साल की सेवा के बाद अपने तबादले का आवेदन कर सकेंगे। नई नियमावली में यह प्रावधान किया गया है कि शिक्षक अपने पूरे सेवाकाल में सिर्फ एक बार तबादले के हकदार होंगे।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 को हाल ही में लागू किया है। इस अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम 1980 को निरस्त कर दिया गया है। इससे 1980 के अधिनियम के तहत जारी तबादले के नियम स्वतः समाप्त हो गए हैं। इसके बाद 2005 में जारी नियमावली भी निरस्त कर दी गई है। अब नई नियमावली प्रभावी होगी। इसके तहत शिक्षक अपने कॉलेज के प्रबंधतंत्र और विश्वविद्यालय के अनुमोदन के साथ तबादले का आवेदन कर सकेंगे। इसे निदेशक उच्च शिक्षा को देना होगा।
अभी 5 साल में मिलता था मौका... नए नियम से घर से दूर सेवा दे रहे शिक्षकों को राहत
नई नियमावली से शिक्षकों को उनके घर के पास क्षेत्रों में तबादले का विकल्प मिलेगा। इससे शिक्षण कार्य में अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता आएगी। इस निर्णय से घर से दूर सेवा दे रही महिला व अन्य शिक्षकों को काफी राहत मिलेगी।