प्रयागराज : एक पेपर लीक ने खराब कर दिया छात्रों का यह पूरा साल, 23 साल बाद सत्र शून्य होने के बन रहे आसार
प्रयागराज। समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) 2023 की 11 फरवरी को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा का पेपर लीक होने की घटना ने छात्रों का पूरा साल खराब कर दिया। नकल माफियाओं की हरकत के बाद शुरू हुए आंदोलन के बाद घटनाक्रम इस कदर बनते गए की आज तक परीक्षा की नौबत नहीं आ सकी है। प्रशासनिक मशीनरी फेल होने का नतीजा है कि आज हजारों छात्र आयोग के बाहर सड़क पर बैठे हैं।
यह पहली बार नहीं है जब पेपर लीक के कारण छात्रों का भविष्य अधर में फंसा है। इससे पहले आरओ/एआरओ 2016 की भर्ती भी पेपर लीक होने की वजह से पांच साल तक फंसी रही। पांच अप्रैल 2021 को अंतिम परिणाम घोषित होने के साथ उस विवाद का अंत हुआ था। आरओ/एआरओ-2016 की प्रारंभिक परीक्षा पहली बार 27 नवंबर 2016 को 21 जिलों के 827 केंद्रों पर हुई थी। परीक्षा के लिए 3,85,191 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। परीक्षा के दौरान लखनऊ के एक केंद्र से व्हाट्सएप पर पेपर वायरल हो गया था और पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इस प्रकरण की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी। एजेंसी ने जांच पूरी होने के बाद 21 सितंबर 2018 को न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमें परीक्षा में पेपर आउट होने के कोई ठोस साक्ष्य नहीं होने की बात कही गई थी। जिसके बाद अमिताभ ठाकुर ने सीबीसीआईडी की अंतिम रिपोर्ट पर आपत्ति दाखिल कर दी। विशेष न्यायाधीश सीसीबीआईडी, लखनऊ ने एक जनवरी 2020 को जारी आदेश में सीबीसीआईडी की अंतिम रिपोर्ट निरस्त कर दी और मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए।
इस प्रकरण में देरी होता देख आयोग ने 14 जनवरी 2020 को प्रारंभिक परीक्षा निरस्त करने हुए दोबारा परीक्षा कराने का निर्णय लिया था। 20 सितंबर 2020 को हुई पुनर्परीक्षा में सिर्फ पुराने अभ्यर्थियों को शामिल होने का अवसर दिया गया था। इसका अंतिम परिणाम पांच अप्रैल 2021 को घोषित हुआ था। हालांकि इस दौरान 581 पद कम हो गए। आयोग ने 361 पदों पर विज्ञापन जारी किया था लेकिन अंतिम परिणाम 303 पदों के सापेक्ष जारी हुआ था।
प्रयागराज। पीसीएस, आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षाएं एक से अधिक दिन में कराने के विरोध के कारण 23 साल बाद ऐसे हालात बन रहे हैं कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का सत्र शून्य हो सकता है। आयोग के बाहर जिस तरह से हजारों छात्र डटे हैं उससे सात-आठ दिसंबर को पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा कराना मुश्किल लग रहा है। अगर ऐसा होता है तो आयोग जैसी संवैधानिक और प्रतिष्ठित संस्था के लिए यह काला अध्याय साबित होगा। इससे पहले साल 2001 में आयोग ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा तो करा ली थी लेकिन उस साल परिणाम घोषित नहीं कर सका था। उस साल पीसीएस प्री में स्केलिंग लागू करने के खिलाफ एक अभ्यर्थी धनंजय सिह ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी थी। यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था।
इसके चलते एक साल तक लाखों छात्रों को परिणाम का इंतजार करना पड़ा था। आयोग ने साफ कर दिया है कि 7 और 8 दिसंबर को पीसीएस 2024, जबकि 22 व 23 दिसंबर को आरओ/एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षाएं कराई जाएंगी। वहीं प्रतियोगी छात्रों ने भी आयोग की नई व्यवस्था को मानने से साफ इनकार कर दिया है। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इसके चलते परीक्षा की तैयारियां भी प्रभावित हो रही हैं।