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नई दिल्ली : देशभर की अदालतों में न्यायाधीशों के 5,000 से ज्यादा पद खाली, अखिल भारतीय न्यायिक सेवा को लेकर नहीं बन पाई आम सहमति

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नई दिल्ली : देशभर की अदालतों में न्यायाधीशों के 5,000 से ज्यादा पद खाली, अखिल भारतीय न्यायिक सेवा को लेकर नहीं बन पाई आम सहमति

कानून मंत्री मेघवाल ने न्यायिक रिक्तियों पर सदन में दी जानकारी


नई दिल्ली। देश में सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक न्यायाधीशों के 5,611 पद रिक्त हैं। इनमें सबसे कम सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के स्वीकृत 34 पदों में से दो पद खाली हैं। इसके अलावा, 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 364 पद खाली हैं, जबकि उनकी स्वीकृत संख्या 1,114 है। इस क्रम में जिला न्यायालयों में सबसे ज्यादा 5,245 पद रिक्त हैं।



कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में प्रश्नकाल के दौरान लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। एक पूरक प्रश्न के जवाब में कानून मंत्री ने बताया कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के लिए संविधान के अनुच्छेद 217 व 224 में नियुक्तियों का प्रावधान है। यहां पदों के खाली होने की वजह सेवानिवृत्ति, इस्तीफे, न्यायाधीशों की पदोन्नति और स्वीकृत संख्या में बदलाव होता है। इन्हें भरने के लिए त्वरित कार्यवाही जारी है, जबकि जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में पदों को भरने की जिम्मेदारी न्यायालय व राज्य सरकार की होती है। इसके लिए सांविधानिक तौर पर राज्य सरकारों को संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से संविधान के अनुच्छेद 309 में व अनुच्छेद 233 व 234 में प्रावधान किए गए हैं। 


अखिल भारतीय न्यायिक सेवा को लेकर नहीं बन पाई आम सहमति

अखिल भारतीय न्यायिक सेवा को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री ने संसद को बताया कि मतभेद के कारण अखिल भारतीय न्यायिक सेवा पर आम सहमति नहीं बन पाई है। इसलिए 30 अप्रैल, 2022 को हुए मुख्यमंत्रियों व उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के एजेंडे में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के मुद्दे को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन इसे सम्मेलन के एजेंडे में शामिल नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों के बीच मतभेदों को देखते हुए अभी अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना के प्रस्ताव पर कोई सहमति नहीं है।

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