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प्रयागराज : प्रदेश में हैं 978 केंद्र, एक दिन में कैसे होगी RO/ARO परीक्षा, केंद्र निर्धारण में संशोधन नहीं हुआ तो फंसेगा पेच

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प्रयागराज : प्रदेश में हैं 978 केंद्र, एक दिन में कैसे होगी RO/ARO परीक्षा, केंद्र निर्धारण में संशोधन नहीं हुआ तो फंसेगा पेच

छात्रों को अब समिति की रिपोर्ट पर आयोग के निर्णय का इंतजार


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को प्रदेश के सभी 75 जनपदों में एक दिन की पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा कराने के लिए अधिकतम 978 केंद्र ही मिल सके।


समीक्षा (आरओ)/सहायक अधिकारी समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 के लिए इससे ढाई गुना अधिक केंद्रों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में सव सवाल है कि आयोग एक दिन में यह परीक्षा कैसे करा सकेगा।



आयोग को पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा के 576154 अभ्यर्थियों के लिए प्रदेश में 1748 केंद्रों की जरूरत थी। लेकिन, सख्त नीति के कारण आयोग को सभी 75 जिलों में केवल 978 केंद्र ही मिले सके।


आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में इससे ढाई गुना अधिक केंद्रों की जरूरत पड़ेगी। 11 फरवरी को आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 2387 केंद्रों में आयोजित की गई थी, जो पेपर लीक के कारण निरस्त कर दी गई थी।


अब इसी परीक्षा को लेकर पेच फ़सा है। यदि आयोग जून-2024 को जारी शासनादेश में उल्लिखित नियमों के तहत केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया पूरी करता है तो आयोग को प्रदेश के सभी 75 जिलों में 978 केंद्र ही मिल सकेंगे। इनमें अधिकतम 435074 अभ्यर्थियों की परीक्षा कराई जा सकती है। जबकि, आरओ/एआरओ परीक्षा के लिए 1076004 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं। ऐसे में केंद्र निर्धारण के नियमों में संशोधन के बिना आरओ/एआरओ परीक्ष एक दिन में करा पाना मुश्किल होगा।


 आयोग ने एक समिति का भी गठन किया है, जो इस समस्या के निदान के लिए रास्ते तलाशेगी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही आयोग तय करेगा कि आरओ/एआरओ परीक्षा कैसे करानी है। अभ्यर्थियों को अब आयोग के निर्णय का इंतजार है।



अभ्यर्थियों ने गिनाए दो दिन की परीक्षा के नुकसान

• परीक्षा भाग्य भरोसे हो जाएगी। अधिक सवाल हल करने पर भी बाहर होने की उतनी ही आशंका बनी रहेगी, जितनी कम प्रश्न करके क्वॉलिफाई होने की।

• आयोग का इतिहास रहा है कि प्रत्येक प्रश्न पत्र में 8-10 गलत / विवादित होते हैं। ऐसी स्थिति में नॉर्मलाइजेशन से 'करेला ऊपर से नीम चढ़ा' को स्थिति बन जाएगी।

• दो दिन व तीन शिफ्ट में परीक्षा कराने पर तीनों शिफ्ट में पेपर आउट होने का खतरा रहेगा।

• परीक्षा का खर्च एवं संसाधन कई गुना बढ़ जाएगा और राजकीय कोष पर व्ययभार अधिक होगा।

• आयोग के कर्मचारी/अधिकारी कई दिनों तक परीक्षा कराने में ही दौड़-भाग करते रहेंगे। सर्वाधिक बोझ प्रशासन पर पड़ेगा।

• जिन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाए जाएगा, परीक्षा के कारण इंगेज रखने से यहां लाखों बच्बों की पढ़ाई प्रभावित होगी।

• प्रिंटिंग प्रेस से पेपर आउट होने का खतरा बढ़ेगा ही।


एक दिन की परीक्षा के फायदे

• प्रशासनिक तंत्र अपनी पूरी ऊर्जा एवं समन्वय से नकलविहीन एवं शुचिता पूर्ण परीक्षा करा सकेगा।

• सरकार, आयोग और प्रशासन का लाखों रुपए का सरकारी खर्च बचेगा।

• 75 जिलों में आयोग को केंद्र उपलब्ध हो जाएंगे और अन्य परीक्षाओं में भी इसका फायदा मिलेगा


अभ्यर्थियों के सुझाव

• सभी यूनिवर्सिटी/महाविद्यालय / इंजीनियरिंग कॉलेज (राजकीय एवं प्राइवेट) पॉलिटेक्निक, आईटीआई, मेडिकल कॉलेज आदि परीक्षा केंद्र बनाए जाएं।

• केंद्र बनाए जाने वाले निजी शिक्षण संस्थानों में परीक्षा के लिए सरकारी कर्मचारी लगाए जाएं।

• जब ट्रिपल-पी मोड पर निजी क्षेत्र को शामिल कर जहाज/सैटेलाइट / रेल आदि बड़े एवं संवेदनशील क्षेत्रों में सहयोग लिया जा रहा है, तब ऐसी स्थिति में प्राइवेट स्कूलों में परीक्षा कराने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

• दुनिया के 190 देशों की आबादी से अधिक जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश, जिसकी आबादी 25 करोड़ हो और वहां एक फीसदी आबादी यानी 25 लाख, परीक्षार्थी एक दिन में परीक्षा ना दे पाए तो यह प्रशासनिक मैनेजमेंट की कमी ही होगी।

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