नई दिल्ली : डमी स्कूल चलाने वालों पर सीबीएसई कसेगा शिकंजा, औचक निरीक्षण के साथ तीन महीने से चल रही है मॉनिटरिंग
ऐसा करने पर न केवल स्कूल की संबद्धता वापस ली जा सकती है, बल्कि दर्जा भी घटाया जा सकता है। बीते तीन माह से सीबीएसई ने ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया हुआ है।
डमी स्कूल चलाना और बिना उपस्थिति के दाखिले स्वीकार करना स्कूलों को महंगा पड़ सकता है। ऐसा करने पर न केवल स्कूल की संबद्धता वापस ली जा सकती है, बल्कि दर्जा भी घटाया जा सकता है। बीते तीन माह से सीबीएसई ने ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया हुआ है। इस सप्ताह की शुरूआत में ही 21 स्कूलों की संबद्धता वापस ली है और 6 स्कूलों का दर्जा घटा दिया है। बोर्ड ने ऐसे स्कूलों के खिलाफ शिकंजा कसने के लिए औचक निरीक्षण जारी रखने की योजना बनाई है।
सीबीएसई ने सितंबर में राजस्थान और दिल्ली के 27 स्कूलों में किए गए औचक निरीक्षण के बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। अब इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई। जिसके तहत इस सप्ताह ही 21 स्कूलों की संबद्धता वापस ले ली गई। इसमें 16 स्कूल दिल्ली और पांच राजस्थान के हैं। जिनकी संबद्धता वापस ली गई है, वहां पढऩे वाले बच्चों का चालू सत्र पूरा होगा। अगले सत्र से उन पर कार्रवाई लागू होगी। इसके साथ ही दिल्ली के छ: स्कूलों का दर्जा वरिष्ठ माध्यमिक से घटाकर माध्यमिक किया गया है। बोर्ड के अनुसार, भविष्य में भी ऐसे निरीक्षण जारी रखे जाएंगे जिससे कि सीबीएसई स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और मानक बनाए रखें जाएं।
बोर्ड का कहना है कि वह शैक्षिक सुधारों को आगे बढ़ाने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। डमी स्कूल और गैर उपस्थित प्रवेश की प्रथा स्कूली शिक्षा के मूल मिशन के विपरीत है। इसी के तहत स्कूलों के खिलाफ यह निर्णायक कार्रवाई की गई है। बोर्ड के अनुसार इस तरह के निरीक्षण और कार्रवाई से डमी स्कूल चलाने और गैर उपस्थिति प्रवेश स्वीकार करने वाले स्कूलों को एक कड़ा संदेश मिलेगा। बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास करेगा कि स्कूल वैध और नैतिक शैक्षिक प्रथाओं का पालन करें।
मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले लेते हैं दाखिला
दरअसल हर साल कई इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले कई छात्र डमी स्कूलों में दाखिला लेते हैं। वह कक्षाओं में नहीं जाते और सीधे बोर्ड परीक्षा में बैठते हैं। यह छात्र कक्षाओं में उपस्थित हुए बिना केवल नामांकन कराकर स्कूल के छात्रों के रूप में फाइनल परीक्षा में उपस्थित होते हैं। नीट यूजी व जेईई परीक्षा में बैठने के लिए यह छात्र दिल्ली राज्य कोटा का लाभ उठाने के लिए भी ऐसा करते हैं।