मथुरा : श्रीराम प्राथमिक पाठशाला बदहाल, जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर बच्चे
मथुरा। शहर के दो प्राथमिक विद्यालय शिक्षा अधिकारियों की अनदेखी के कारण एक दशक से अधिक समय से बदहाल हैं। नई बस्ती क्षेत्र में एक कमरे में दो विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इस कमरे में छत पर भी नहीं है। पुरानी टिनशेड के नीचे जर्जर भवन में बच्चे जीवन को दांव पर लगाकर पढ़ने को मजबूर हैं।
भरतपुर गेट क्षेत्र में नई बस्ती स्थित नगर निगम के वर्कशॉप में एक कमरे में श्रीराम प्राथमिक पाठशाला और महर्षि वाल्मीकि प्राथमिक पाठशाला संचालित हो रही हैं। इनमें से श्रीराम विद्यालय में 90 एवं महर्षि वाल्मीकि विद्यालय में मात्र 11 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें एक भी शिक्षक नहीं है। दो शिक्षामित्र प्रेमलता और साजिद अहमद कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के एक साथ एक ही कमरे में पढ़ा रहे हैं।
वर्षों से जर्जर कमरे पर छत तक नहीं है। सीमेंट की पुरानी टिनशेड होने से बारिश में पानी का रिसाव होने से बच्चों का कमरे में बैठना भी दुश्वार हो जाता है। वहीं कमरे में बिजली न होने से पर्याप्त रोशनी भी नहीं है। इतना ही नहीं कमरे के चारों ओर गंदगी से बच्चों को बीमार होने की आशंका बनी रहती है। लंबे समय से शिक्षा अधिकारी बच्चों की परेशानी को अनदेखा कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि स्कूल की मरम्मत के लिए प्रतिवर्ष शासन से धनराशि मिलती है, लेकिन उस धनराशि को उपयोग में नहीं लिया गया। जहां एक तरफ शासन बच्चों को शिक्षा के अधिकार दिलाने का दावा कर रही है। वहीं अधिकारी शासन के आदेश और सुविधा और शिक्षक विहीन स्कूलों की अनदेखी कर रहे हैं। जर्जर और बिना शिक्षक के स्कूल के कारण बच्चों का भविष्य अंधकारमय हैं।
नगर निगम के भवन में स्कूल संचालित हो रहा है। भवन के जर्जर होने पर मुख्य विकास अधिकारी को अवगत करा दिया है। नगर निगम या तो स्वयं मरम्मत कराए या फिर भवन को शिक्षा विभाग को हस्तांतरित करे ताकि शिक्षा विभाग भवन का निर्माण करा सके। शिक्षकों की कमी होने पर वहां शिक्षामित्रों को लगाया गया है ताकि स्कूल बंद न हो।
- सुनील दत्त, बीएसए
भरतपुर गेट क्षेत्र में नई बस्ती स्थित नगर निगम के वर्कशॉप में एक कमरे में श्रीराम प्राथमिक पाठशाला और महर्षि वाल्मीकि प्राथमिक पाठशाला संचालित हो रही हैं। इनमें से श्रीराम विद्यालय में 90 एवं महर्षि वाल्मीकि विद्यालय में मात्र 11 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें एक भी शिक्षक नहीं है। दो शिक्षामित्र प्रेमलता और साजिद अहमद कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के एक साथ एक ही कमरे में पढ़ा रहे हैं।
वर्षों से जर्जर कमरे पर छत तक नहीं है। सीमेंट की पुरानी टिनशेड होने से बारिश में पानी का रिसाव होने से बच्चों का कमरे में बैठना भी दुश्वार हो जाता है। वहीं कमरे में बिजली न होने से पर्याप्त रोशनी भी नहीं है। इतना ही नहीं कमरे के चारों ओर गंदगी से बच्चों को बीमार होने की आशंका बनी रहती है। लंबे समय से शिक्षा अधिकारी बच्चों की परेशानी को अनदेखा कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि स्कूल की मरम्मत के लिए प्रतिवर्ष शासन से धनराशि मिलती है, लेकिन उस धनराशि को उपयोग में नहीं लिया गया। जहां एक तरफ शासन बच्चों को शिक्षा के अधिकार दिलाने का दावा कर रही है। वहीं अधिकारी शासन के आदेश और सुविधा और शिक्षक विहीन स्कूलों की अनदेखी कर रहे हैं। जर्जर और बिना शिक्षक के स्कूल के कारण बच्चों का भविष्य अंधकारमय हैं।
- सुनील दत्त, बीएसए
आभार साभार अमर उजाला