लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के एनजीओ और ट्रस्ट में भाग लेने पर लगी पाबंदी, देखें जारी शासनादेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक नया शासनादेश जारी किया है, जिसमें राज्य कर्मचारियों को अब किसी भी ट्रस्ट, एनजीओ या कोआपरेटिव सोसाइटी का हिस्सा बनने से रोक दिया गया है। यह आदेश मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से कार्मिक विभाग ने जारी किया, जिसमें साफ कहा गया है कि अब कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी गैर-सरकारी संस्था या निजी निकाय के प्रबंधन में शामिल नहीं हो सकेगा। इसके साथ ही, कर्मचारियों को इन संस्थाओं के चुनावों में भी भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया है।
राज्य सरकार ने आदेश जारी करते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें कहा गया है कि अधिकारी और कर्मचारी अब किसी भी तरह के वित्तीय लेन-देन, धन संग्रह या शेयर बेचने में हिस्सा नहीं लेंगे, और न ही एनजीओ और ट्रस्ट के किसी पद पर चुनाव लड़ने का अधिकार होगा।
एनजीओ या ट्रस्ट का हिस्सा नहीं बनेंगे सरकारी कर्मचारी, बैंक या वित्तीय संस्थानों के उत्पाद भी नहीं बेचेंगे, उल्लंघन पर होगी कार्रवाई
आदेश का उल्लंघन करने वाले पर आचरण नियमावली नियम-16 के तहत की जाएगी कार्रवाई
लखनऊ। प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने निर्देश दिए हैं कि कोई भी सरकारी अधिकारी और कर्मचारी गैर सरकारी समितियों, ट्रस्ट जैसे निजी निकायों के प्रबंधन का हिस्सा नहीं बन सकता। न ही कोई भी सरकारी कर्मचारी, सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना, कंपनी अधिनियम 1956 या उस समय लागू किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत किसी बैंक या अन्य कंपनी के पंजीकरण, प्रचार या प्रबंधन में भाग लेगा।
सरकारी कर्मचारी उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम, 1965 के तहत या किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत सहकारी समिति के पंजीकरण, प्रचार या प्रबंधन में भाग ले सकता है। इसका उल्लंघन करने वाले को आचरण नियमावली नियम-16 का दोषी पाया जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया गया है।
बृहस्पतिवार को जारी शासनादेश के मुताबिक राज्य सरकार एक सामान्य दिशा निर्देश भी जारी करेगी, जिसमें सभी सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिया जाएगा कि वे प्रावधानों के विपरीत, किसी भी सूरत में गैर-सरकारी समितियों, ट्रस्टों आदि जैसे निजी निकायों के प्रबंधन निकायों का हिस्सा न बनें। अखिल भारतीय सेवा के सदस्यों के संबंध में, मुख्य सचिव मामले की जांच करेंगे और देखेंगे कि कितने मामलों में सरकार की पूर्व मंजूरी प्राप्त की गई है। यदि अनुपालन नहीं मिलेगा तो कार्रवाई करेंगे।
मुख्य सचिव छह महीने की अवधि के भीतर इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। कोई भी अधिकारी या कर्मचारी सोसायटी धन संग्रह या शेयर बेचने या किसी अन्य वित्तीय लेनदेन की सदस्यता बढ़ाने में भाग नहीं लेगा। यदि कोई सरकारी कर्मचारी भाग लेता है किसी भी बड़ी सहकारी समिति या निकाय के प्रतिनिधि के रूप में, वह उस बड़ी समिति या निकाय के किसी भी पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेगा। वह केवल वोट डालने के उद्देश्य से ऐसे चुनाव में भाग ले सकता है।