उद्योग जगत का कहना है कि आयकर अधिक होने की वजह से निम्न और मध्य आय वर्ग से आने वाले लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित हो रही है। ऐसे में अगर आर्थिक विकास की गति को बढ़ावा देना है तो उसके लिए ऐसे उपाय करने जरुरी है, जिनसे लोगों की खरीदारी करने की क्षमता बढ़े।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को उद्योग और सामाजिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की, जिसमें तमाम औद्योगिक संगठनों ने आयकर दरों में कमी करने का मुद्दा उठाया।
भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा कि व्यक्तियों के लिए उच्चतम सीमांत दर और सामान्य कॉरपोरेट पर कर दर के बीच का अंतर अधिक है। कॉरपोरेट पर कर कम है, जबकि व्यक्तिगत स्तर पर ज्यादा कर लग रहा है। ऐसे में महंगाई के चलते निम्न और मध्यम आय वर्ग से आने वाले लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित हुई है।
सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पुरी ने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है लेकिन वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियां हैं, जिन्हें हम नजर अंदाज नहीं कर सकते। चीन अपने बहुत सारे उत्पादों को भारत व अन्य देशों में डंप कर रहा है। हमारे सामने जलवायु मुद्दा भी है,जो खाद्य सुरक्षा और महंगाई दर को भी प्रभावित करता है। इस बारे में हमने कई सुझाव दिए हैं।
वहीं, पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने बताया कि हमने सरकार को व्यक्तिगत आयकर में कमी करने का सुझाव दिया। ऐसा होने से लोगों के हाथों में अधिक पैसा होगा। इससे मांग को बढ़ावा मिलेगा और महंगाई कम होगी। इसके साथ ही, हमने जीएसटी सरलीकरण का मुद्दा भी उठाया है।
पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करे सरकार
सीआईआई ने ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने का सुझाव दिया। ईंधन की कीमतें बढ़ने से महंगाई भी बढ़ती है। ऐसे में महंगाई से राहत दिए जाने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कटौती की जानी चाहिए। केंद्रीय उत्पाद शुल्क पेट्रोल के खुदरा मूल्य का करीब 21 प्रतिशत और डीजल पर 18 प्रतिशत है। उत्पाद शुल्क कम करने से कीमतों घटेंगी, जिससे महंगाई नियंत्रण में रहेंगी और लोग दूसरी चीजों पर खर्च कर सकेंगे, जिससे मांग को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
बैठक में राहत देने के अन्य मुद्दों पर भी चर्चा
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि घरेलू खपत भारत की विकास यात्रा के लिए महत्वपूर्ण रही है, लेकिन महंगाई के दबाव ने उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कुछ हद तक कम कर दिया है। उद्योग जगत ने पीएम-किसान योजना के तहत वार्षिक भुगतान आठ हजार रुपये किए जाने, क्रेडिट गारंटी स्कीम को विस्तार दिए जाने, ग्रामीण औद्योगिक पार्क की स्थापना, राजकोषीय घाटे को कम करने पर ध्यान केंद्र करने और राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेज निर्धारित किए जाने संबंधी कई तरह के सुझाव दिए गए।