प्रयागराज : यूपी राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध 5 कालेजों ने बिना मान्यता आदेश के बढ़ा लीं सीटें, जांच शुरू, बीएड की 300, डीएलएड की 100 व एमएड की 50 सीटें मनमाने ढंग से बढ़ाईं
राज्य विश्वविद्यालय को भेजे गए एनसीटीई के पत्र में हुआ गड़बड़ी का खुलासा
प्रयागराज। प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध पांच कॉलेजों ने बिना मान्यता आदेश के मनमाने तरीके से बीएड कोर्स की 300, डीएलएड कोर्स की 100 व एमएड कोर्स की 50 सीटें बढ़ा लीं। शिकायत मिलने पर राज्य विवि के रजिस्ट्रार ने जब एआरसी, एनसीटीई को पत्र भेजकर इस बारे में पूछा तो एनसीटीई की ओर से प्रेषित जवाब में इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ।
नेशनल रीजनल कमेटी (एनआरसी), नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के क्षेत्रीय निदेशक सतीश कुमार की ओर से राज्य विवि के रजिस्ट्रार संजय कुमार को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि केपी उच्च शिक्षा संस्थान झलवा प्रयागराज, नंद किशोर सिंह डिग्री कॉलेज धनुहा शौका नैनी प्रयागराज व डिग्री कॉलेज उपरदहा बरौत हंडिया प्रयागराज में बीएड की 100-100 सीटें (दो-दो यूनिट) बढ़ाए जाने के लिए एनआरसी-एनसीटीई की ओर से कोई मान्यता आदेश जारी नहीं किया गया है।
इसी तरह नंद किशोर सिंह डिग्री कॉलेज धनुहा में डीएलएड की 100 सीटें (दो यूनिट) शामिल किए जाने के लिए भी एसआरसी एनसीटीई की ओर से कोई मान्यता आदेश जारी नहीं किया गया है। वहीं, डिग्री कॉलेज उपरदहा बरौत हंडिया प्रयागराज में एमएड की 50 सीटों (एक यूनिट) के लिए एनआसी-एनसीटीई ने मान्यता आदेश जारी नहीं किया है।
एनआरसी-एनसीटीई ने रजिस्ट्रार को भेजे पत्र में सिफारिश की है कि इन संस्थानों के खिलाफ विधिक कार्रवाई करें और संबंधित पाठ्यक्रमों में इन्हें संबद्धता प्रदान न करें। साथ ही यह आग्रह भी किया है कि छात्र-छात्राओं को संबंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए ये संस्थान आवंटित न करें।
एनआरसी-एनसीटीई ने राज्य विवि से इन संस्थानों में संचालित टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम की विस्तृत जानकारी भी मांगी है। साथ ही राज्य विवि से उन संस्थानों के नाम भेजने का अनुरोध किया है, जो संदिग्ध हैं और जिनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जा सकती है।
राज्य विवि के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि संबंधित संस्थानों के खिलाफ शिकायत मिली थी, जिसकी तस्दीक के लिए विश्वविद्यालय की ओर से एनआरसी-एनसीटीई को पत्र भेजा गया था। एनसीटीई से मिले जवाब के आधार पर संबंधित संस्थानों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।