लखनऊ : स्कूली इमारतों की जांच को लेकर कोई प्रगति नहीं होने पर हाईकोर्ट हैरान
लखनऊ । स्कूली 121 बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवायी के दौरान, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद प्रदेश में स्कूलों के निरीक्षण के सम्बंध में कोई प्रगति नहीं हुई है और न ही सुरक्षा के लिहाज से स्कूली इमारतों का कोई निरीक्षण हुआ है।
न्यायालय ने कहा कि हम हैरान हैं कि इसके बावजूद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कैसे कह रहा है कि उत्तर प्रदेश में इस विषय पर काफी काम किया है। यह टिप्पणियां न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है। उक्त याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है।
शहर के 100 से अधिक स्कूलों के भवन जर्जर
शहर में 100 से अधिक प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों के भवन जर्जर हैं। पीडब्ल्यूडी की सर्वे रिपोर्ट में शहर यह भवन जर्जर पाये गए थे। इनमें 36 स्कूल माध्यमिक स्कूल हैं। अन्य 64 प्राइमरी स्कूल हैं। सबसे अधिक माल और बीकेटी के 40 स्कूल के भवन हैं। कई स्कूलों के जर्जर भवन में हादसे की डर से बच्चों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कर दिया गया है। बीकेटी के 17 और मॉल के 23 स्कूल के जर्जर भवन शामिल शामिल हैं।