नई दिल्ली : सरकारी नौकरी में चुने गए उम्मीदवारों के दस्तावेजों की जांच और सत्यापन छह माह के भीतर करना जरूरी होगा - सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली । अब पुलिस को सरकारी नौकरी में चुने गए उम्मीदवारों के दस्तावेजों की जांच और सत्यापन छह माह के भीतर करना जरूरी होगा, जिससे भविष्य में किसी तरह की समस्या ना आए। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और आर माधवन की पीठ ने शुक्रवार को यह आदेश जारी करते हुए कहा कि इस प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद ही नियुक्ति या चयन को नियमित माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश बासुदेव दस्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। दत्ता की नौकरी 6 मार्च 1985 लगी थी और सेवानिवृत्ति से दो माह पूर्व 7 जुलाई 2010 को पुलिस ने विभाग को सत्यापन रिपोर्ट भेजकर सूचित किया कि वह भारत के नागरिक नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों की पुलिस को निर्देश दिए कि सरकारी नौकरी के लिए चुने गए उम्मीदवारों द्वारा पेश किए गए चरित्र, पूर्ववृत्त, राष्ट्रीयता, वास्तविक दस्तावेज की जांच व सत्यापन प्रक्रिया को नियुक्ति की तारीख से छह माह के भीतर पूरा किया जाए।
याचिकाकर्ता 6 मार्च, 1985 को सार्वजनिक सेवा में शामिल हुआ था, लेकिन पुलिस की ओर से सत्यापन रिपोर्ट विभाग को सेवानिवृत्ति की तिथि से केवल दो महीने पहले 7 जुलाई, 2010 को इस आधार पर भेजी गई कि वह देश का नागरिक नहीं था। अपीलकर्ता ने अपने पिता के पक्ष में 19 मई, 1969 को जारी प्रवासन प्रमाणपत्र के आधार पर भारतीय होने का दावा किया था।
दत्ता की याचिका की जांच करने पर अदालत ने माना कि अपीलकर्ता के खिलाफ पारित बर्खास्तगी का आदेश मनमाना, अवैध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, जिसे बरकरार नहीं रखा जा सकता। पीठ ने पाया कि न्यायाधिकरण का यह कहना सही था कि अपीलकर्ता को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना और उसके समक्ष अपना मामला स्पष्ट करने का कोई अवसर दिए बिना बर्खास्त कर दिया गया था।