प्रयागराज : UPPSC के 87 साल के इतिहास में पहली बार भर्तियों की न्यायिक जांच
पीसीएस-जे भर्ती मामला : लोकसेवा आयोग के 14 कर्मचारियों पर गिर सकती है गाज
प्रयागराज। पीसीएस-जे 2022 भर्ती में हुई गड़बड़ी के मामले में उप्र लोकसेवा आयोग के 14 कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है। अनियमितताओं की जांच के लिए सोमवार को हाईकोर्ट के पहली बार न्यायिक आयोग गठित किए जाने से हुई किरकिरी के बाद इसके आसार बढ़ गए हैं। पीसीएस-जे के 302 पदों पर हुई भर्ती की प्रक्रिया और अनियमितताओं को लेकर आयोग की भूमिका शुरू से सवालों के घेरे में है। खुद को पाक-साफ बताने वाले आयोग की अभ्यर्थियों ने जब हाईकोर्ट में पोल खोली तो उसे फौरन यू-टर्न मारना पड़ा। हाईकोर्ट में न सिर्फ कॉपियां पेश करनी पड़ीं, बल्कि सभी अभ्यर्थियों की कॉपियों की स्क्रूटनी भी करानी पड़ी। इसमें कॉपियों की अदला-बदली पकड़े जाने के बाद आयोग ने तीन अधिकारियों को निलंबित किया। एक के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को लिखा गया। अब पूरे प्रकरण से जुड़े अन्य कर्मचारियों पर भी सख्त कार्रवाई की तैयारी है।
प्रयागराज। यूपीपीएससी के 87 साल के इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी भर्ती में गड़बड़ियों की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया हो। आयोग के खिलाफ बीते दशकों में कई बार गंभीर आरोप लगे। हंगामा हुआ, आंदोलन हुए।
कई दिनों तक घेराबंदी भी हुई। इसके बाद जांच में सीबीआई और एसटीएफ को लगाया गया, लेकिन पीसीएस-जे 2022 पहली परीक्षा है, जिसकी जांच न्यायिक आयोग करेगा।
वर्ष 2012 के बाद करीब चार साल का दौर आयोग के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। पीसीएस समेत कई भर्तियों में धांधली का आरोप लगाते हुए प्रतियोगियों ने बड़ा आंदोलन चलाया। मुद्दा विधानसभा से लेकर संसद तक गूंजा। प्रतियोगियों की याचिका पर सारे दस्तावेजों की पड़ताल के बाद हाईकोर्ट ने यूपीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव की नियुक्ति को अवैध करार दिया था। तत्कालीन सचिव को भी पद से हटाया गया था।
प्रतियोगियों के आंदोलन के दबाव में आई प्रदेश सरकार ने आयोग की 2012 से 2017 के बीच की गईं 588 भर्तियों की सीबीआई जांच का आदेश भी दिया। 2017 में शुरू हुई यह जांच सात साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है।
यह मामला शांत हुआ ही था कि एलटी ग्रेड भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को जेल जाना पड़ा। एसटीएफ ने उनकी गिरफ्तारी की थी। अभी इसका शोर थमा भी नहीं था कि आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा का पेपर आउट हो गया।
प्रतियोगियों के आंदोलन के बाद परीक्षा निरस्त कर मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई है। इस मामले में एसटीएफ ने सोमवार को ही दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पिछले दिनों प्रतियोगियों ने पीसीएस और आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन कराने को लेकर बड़ा आंदोलन चलाया था, जिसके बाद आयोग को कदम पीछे करने पड़े थे।
UPPCS-J 2022 परीक्षा में 'अनियमितताओं' की होगी न्यायिक जांच, हाईकोर्ट ने रिटायर्ड चीफ जस्टिस गोविंद माथुर को सौंपी जिम्मेदारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर को UPPCS-J Mains 2022 परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की खामियों की जांच मूल्यांकन प्रक्रिया की समीक्षा और उम्मीदवारों की शिकायतों को हल करने का दायित्व सौंपा गया है। न्यायालय ने यूपीपीएससी को जांच पूरी होने तक परीक्षा से संबंधित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का भी निर्देश दिया है। सोमवार को कोर्ट ने ये आदेश दिया।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) मुख्य परीक्षा (UPPCS-J Mains 2022) में अनियमितताओं के आरोपों की स्वतंत्र जांच के लिए सेवानिवृत्ति मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर की नियुक्ति की है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर को इन खामियों की जांच, मूल्यांकन प्रक्रिया की समीक्षा और उम्मीदवारों की शिकायतों को हल करने का दायित्व सौंपा गया है। न्यायालय ने यूपीपीएससी को जांच पूरी होने तक परीक्षा से संबंधित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का भी निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश
यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह एवं न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने दिया है। आदेश कॉपियों से छेड़छाड़, प्रक्रियात्मक खामियां और मेरिट सूची से गलत तरीके से बाहर करने के आरोप में दाखिल श्रवण पांडेय व अन्य की याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद फरमान अहमद नकवी, अधिवक्ता शाश्वत आनंद आदि को सुनकर दिया है।
याचिका- उत्तर पुस्तिका के साथ छेड़छाड़ की गई
श्रवण पांडेय की याचिका में आरोप है कि उनकी अंग्रेजी की उत्तर पुस्तिका से छेड़छाड़ की गई। जुलाई माह में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान गंभीर त्रुटि स्वीकार की। प्रारंभिक आंतरिक जांच में पता चला कि दो बंडलों की उत्तर पुस्तिकाओं पर गलत मास्टर (फेक कोड) चिपकाए गए थे, इससे अभ्यर्थियों के अंकों की अदला-बदली हो गई।
गड़बड़ी से कम से कम 50 अभ्यर्थी प्रभावित हुए
इस गड़बड़ी से कम से कम 50 अभ्यर्थी प्रभावित हुए। इससे मेरिट सूची और साक्षात्कार प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठे। इसके बाद अन्य अभ्यर्थियों ने भी याचिकाएं दाखिल कर मूल्यांकन में विसंगतियों और अनियमितताओं के आरोपों के आधार बताते हुए नियुक्ति पत्र जारी करने की मांग की। खंडपीठ ने याचिकाओं की समानता को देखते हुए और न्यायिक नियुक्तियों की शुचिता बनाए रखने के लिए व्यापक जांच की आवश्यकता पर बल दिया। उसी क्रम में न्यायमूर्ति गोविंद माथुर की नियुक्ति की गई है।
अभ्यर्थियों ने उठाया था सवाल... आयोग खुद दोषी अपने ही लोगों से कैसे करा सकता है अपनी जांच
न्यायिक आयोग की जांच से पीसीएस-जे 2022 की परीक्षा में गड़बड़ी का होगा पर्दाफाश
प्रयागराज PCS J परीक्षा में 50 कॉपियों की अदला-बदली की पुष्टि के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की आंतरिक जांच से अभ्यर्थी पूरी तरह असंतुष्ट थे। इनका सवाल था कि जो आयोग खुद दोषी है, वह अपने लोगों से अपनी जांच नहीं करा सकता।
कॉपियों के बंदल पर गलत कोडिंग के कारण एक बंडल में रखी अंग्रेजी विषय की 25-25 कॉपियां एक-दूसरे से बदल गई थीं। इससे योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए थे। आयोग ने गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार तीन अधिकारियों को निलंक्ति करते हुए पांच के खिलाफ कार्रवाई की थी। अभ्यर्थी इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थे। उनका आरोप था कि आयोग अपनी साख बचाने के लिए आंतरिक जांच के बहाने गड़बड़ियों को दवा रहा है। आयोग के हो कुछ लोगों ने चहेतों के चयन के लिए यह हेराफेरी की है। जो आयोग खुद दोषी है, वह अपने ही लोगों से जांच नहीं करा सकता। इसकी स्वतंत्र एजेंसी से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
न्यायिक आयोग के गठन के बाद इस पूरे मामले में नया मोड़ आ गया है। हालांकि आयोग ने कॉपियों की अदला-बदली का मामला सामने आने पर मुख्य परीक्षा में शामिल 3019 अभ्यर्थियों को कॉपियां देखने के लिए आमंत्रित किया था। इनमें से 1343 अभ्यर्थियों ने अपनी कॉपियां देखीं थीं।
आयोग ने कुल 302 पदों पर निकाली थीं। अदालती आयोग को मुख्य परीक्षा का परिणाम संशोधित करना पड़ा था। इसमें पांच नए अभ्यर्थिों को सफल घोषित करते हुए अलग से उनका साक्षात्कार कराया गया था। इसके बाद आयोग ने अंतिम चयन परिणाम भी संशोधित किया था।
10 जुलाई-24 को आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत ने हाईकोर्ट में व्यक्तिरत हलफनामे संग सीलबंद रिपोर्ट दाखिल कर पीसीएस ने के परिगामों को स्थिति ससष्ट की थी। इसमें पूर्व में चयनित दो अभ्यर्थियों को मेरिट से बाहर करके दो नए अभ्यर्थियों को चयनित पोषित किया था। असंतुष्ट अभ्यर्थियों का कहना था कि आयोग ने जिन तीन अफसरों को निलंबित किया है, उन्हें कुछ दिवे के बाद बहाल कर दिया जाएगा। कार्रवाई व जांच के नाम पर आयोग इस पूरे मामले को दवा ले जाए। हाईकोर्ट के न्यायिक आयोग गठन करने से स्पष्ट हो जाएगा कि पीसीएस जे मुख्य परीक्षा में किस स्तर पर और किस तरह की गड़बड़ियां हुई हैं।
आरटीआई ने खोली आयोग की पोल
पीसीएस में में कॉपियों की अदला-बदली और फिर जांप आयोग के गठन के पोक्ले आम आदमी के लिए सबसे तरवार ने सूचना के अधिकार अधिनियम ने बेहद अहम भूमिका निभाई। अपने आरटीई के जरिये ही अपने कॉपियां देखी थी। देखकर हैरान बने पाया कि यह को उनकी है ही नहीं गए हैं तो और की आके समक्ष आपत्तिको लेकिन इसका कोई संज्ञान नहीं लिया गया। कोर्ट में कर रहे ने इससे हईकोर्ट में चुनौती दी। यहां भी आपने दिखाने के निर्देश के बावजूद तमाम ना-नुकर और होली की। कोर्ट के तेवर सख्त हुए तो स्वयोर ने रार्न लिया। आयोग ने अवको मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण येषित किया। इंटरव्यू के लिए कुराया, लेकिन उसमें वह उत्तीर्ण नहीं हो सके।
अभ्यर्थियों को प्राप्तांक व कटऑफ का इंतजार
आयोग ने पीसीएस में परीक्षा-2022 के 23 पर्थियों के प्रांक से जारी किए लेकिन मुख्य परीक्षा में शामिल सभी 3019 के प्रांककर अंड अभी जारी नहीं किए है। को भी अपने प्रकार है, ताकि पना चल सके कि चयन प्रक्रिया न्यूनतम अधिस्यकट कितनाয়া।
2015 में पहली बार उठा था कॉपियां बदलने का मामला
आयोग की किसी भी परीक्षा में कॉपियां बदलने का मामला पहली बार वर्ष 2015 में उठा था। यह परीक्षा थी पीसीएस की यह साल उठाने वाली अनार्थी सुभाषिनी वाजपेयीं। उनकी आपतियों के बाद आहेग ने उन्हें आने मौका तो दिया, लेकिन अंडमान नहीं हो सका।