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नई दिल्ली : पांच साल में 21 फीसदी बढ़ गई महंगाई

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नई दिल्ली : पांच साल में 21 फीसदी बढ़ गई महंगाई 

नई कर व्यवस्था लागू होने के बाद से सरकार ने सालाना 15 लाख रुपये से कम कमाने वाले करदाताओं को टैक्स स्लैब के हिसाब से लिमिट बढ़ाकर राहत दी है, ताकि बढ़ती महंगाई के दौर में उनकी जेब पर कम असर पड़े। लेकिन, पिछले पांच साल से उन करदाताओं को लिमिट के मोर्चे पर कोई राहत नहीं मिली है, जो सबसे अधिक टैक्स भरते हैं।

बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि नई कर व्यवस्था की शुरुआत 2020 में हुई थी। तब से अब तक लागत महंगाई इंडेक्स (सीआईआई) करीब 21 फीसदी बढ़ गया है। महंगाई के इस असर को कम करने के लिए सरकार ने पांच साल में 15 लाख रुपये से कम आय वाले करदाताओं के लिए लिमिट में न्यूनतम 20 फीसदी और अधिकतम 40 फीसदी की बढ़ोतरी की है। हालांकि, 15 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले करदाताओं के लिए लिमिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है और उन्हें 30 फीसदी की अधिकतम दर से टैक्स भरना पड़ रहा है।  


70 फीसदी की आय पांच लाख से कम
आंकड़ों के मुताबिक, आईटीआर भरने वाले 70 फीसदी करदाताओं की कर योग्य आय 5 लाख या उससे कम है।


18 लाख रुपये की जाए सीमा, महंगाई समायोजन का दिया जाए लाभ
आदिल ने कहा, सरकार को 2025-26 के बजट में कर स्लैब में महंगाई को समायोजित कर सबसे अधिक टैक्स चुकाने वाले करदाताओं को राहत देने पर विचार करना चाहिए। इसके लिए 30 फीसदी के अधिकतम टैक्स स्लैब के तहत सालाना आय सीमा को कम-से-कम 20 फीसदी बढ़ाकर 18 लाख रुपये करना चाहिए। इससे अधिक ब्याज दर पर होम लोन की ईएमआई चुकाने, बच्चों की महंगी स्कूल फीस भरने और बेहतर लाइफस्टाइल के लिए अधिक जेब ढीली करने की चुनौती से जूझने वाले शहरी नौकरीपेशा को काफी राहत मिलेगी। 


ग्रांट थॉर्नटन का सर्वे : 57 फीसदी करदाता चाहते हैं...टैक्स घटाए सरकार
देश के 57 फीसदी व्यक्तिगत करदाता चाहते हैं कि सरकार अगले वित्त वर्ष के बजट में करों में कटौती करे। 25 फीसदी ने अधिकतम टैक्स स्लैब में छूट की मांग की है। ग्रांट थॉर्नटन इंडिया की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 72 फीसदी व्यक्तिगत करदाताओं के नई आयकर व्यवस्था चुनने के बावजूद 63 फीसदी पुरानी व्यवस्था के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन में बढ़ोतरी के पक्ष में हैं। नई कर व्यवस्था की तरफ आकर्षण बढ़ाने के लिए करीब 46 फीसदी ने कर की दरें घटाने की वकालत की।

सर्वे में शामिल 53 फीसदी उत्तरदाताओं ने नई कर व्यवस्था के तहत आवासीय संपत्ति पर होने वाले नुकसान की भरपाई की अनुमति देने की मांग की है। 47 फीसदी चाहते हैं कि पुरानी व्यवस्था के तहत ‘सेट-ऑफ’ सीमा बढ़ाई जाए या दो लाख रुपये की लिमिट पूरी तरह हटा दी जाए।

ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के साझेदार अखिल चांदना ने कहा, एनपीएस की कर कटौती सीमा में बढ़ोतरी और इससे निकासी के अधिक लचीले नियम होने पर सेवानिवृत्ति बचत को बढ़ावा मिलेगा।


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