लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग के 79 कर्मचारी बर्खास्त, नियमों के विरुद्ध हुई थी नियुक्ति, कई अधिकारियों पर भी होगी कार्रवाई
अफसरों के घर में कार्य करने वालों को दी गई थी नियुक्ति, स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति मामले में कई अफसरों पर लटकी तलवार
गायब हो गई थीं फाइलें, रिपोर्ट दर्ज
सेवानिवृत्त अधिकारियों की खोजबीन शुरु, भेजा जाएगा नोटिस
लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग में 79 कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बाद अब उन्हें नियुक्ति करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी है। कई अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में उनकी खोजबीन की जा रही है, जिससे उनको नोटिस भेजा जा सके। दरअसल, जिन कर्मियों का गलत तरीके से विनियमितीकरण किया था, उसमें ज्यादातर संबंधित अधिकारियों के घर में कार्य करते थे।
मामले की जांच करने वाले तत्कालीन निदेशक (प्रशासन) डॉ. राजा गणपति आर ने शासन को भेजी गई रिपोर्ट में संबंधित अधिकारियों को दोषी करार दिया है। इसमें तत्कालीन निदेशक (संचारी) डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी भी हैं। वह महानिदेशक परिवार कल्याण के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। तत्कालीन अपर निदेशक डॉ. डीवी मिश्रा भी निदेशक पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी अरुण प्रकाश सिन्हा अपर निदेशक कानपुर मंडल कार्यालय में कार्यरत हैं, जबकि मलेरिया यूनिट जवाहर भवन में कार्यरत जीसी जोशी भी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वर्तमान में आजमगढ़ में कार्यरत वरिष्ठ सहायक प्रशांत श्रीवास्तव को भी दोषी बताए गए हैं।
सूत्रों की माने तो विभागीय अधिकारियों के घर में काम करने वाले कार्मिकों को नियमित करने के लिए विभाग में भी जमकर खींचतान चली थी। उस वक्त महानिदेशक पद के दो दावेदार थे, जिसमें एक ने इस फाइल पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था। ऐसे में तत्कालीन निदेशक संचारी के स्तर से ही फाइल शासन को भेजी गई।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि तत्कालीन महानिदेशक से स्पष्ट अनुमोदन नहीं लिया गया था। मामले से एक बार फिर विभाग में हलचल मची है। सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को भी नए सिरे से नोटिस भेजने की तैयारी चल रही है। इनका पता ढूंढा जा रहा है। क्योंकि सेवानिवृत्ति के वे अलग- अलग शहरों में रह रहे हैं।
सेवानिवृत्त अधिकारियों की खोजबीन शुरु, भेजा जाएगा नोटिस
जांच के दौरान विनियमितीकरण से संबंधित फाइले गायब हो गई। कार्मिकों को उम्मीद श्री कि फाइल गायब होने से जांच रुक जाएगी और उन पर कार्रवाई नहीं होगी। ऐसे में निदेशक (प्रशासन) ने अपर निदेशक को रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया। जांच अधिकारी ने सभी कर्मियों से हलफनामा लिया। उनसे उनके सभी प्रमाणपत्रों की मूल व स्व हस्ताक्षरित प्रति, कार्य करने की अवधि के संबंध में उनके बयान, कार्यभार ग्रहण करने संबंधित प्रमाणपत्र, तैनाती स्थल और स्थानांतरण पूरी की और रिपोर्ट शासन को भेजी।
स्वास्थ्य विभाग के 79 कर्मचारी बर्खास्तनियमों के विरुद्ध हुई थी नियुक्ति
जांच के बाद हुई कार्रवाई, तत्कालीन निदेशक, अपर निदेशक सहित कई अधिकारियों पर भी होगी कार्रवाई
लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग के 79 कर्मचारियों को बर्खास्त करने का आदेश दिया गया है। इनकी नियुक्ति नियमों के विरुद्ध पाई गई है। ये सभी मलेरिया एवं वेक्टर बॉर्न डिजीज विभाग में वरिष्ठ क्षेत्रीय कार्यकर्ता, क्षेत्रीय कार्यकर्ता और कीट संग्रहकर्ता के रूप में कार्यरत थे। इन कर्मियों की गलत तरीके से नियुक्ति करने के आरोप में तत्कालीन निदेशक, अपर निदेशक सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। जांच रिपोर्ट में इन्हें भी दोषी करार दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग के अधीन मलेरिया एवं वीबीडी विभाग में संविदा व दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत कर्मियों को वर्ष 2000 में हटा दिया गया था। वर्ष 2019 में हटाए गए कर्मियों में से 79 को विनियमितीकरण के तहत स्थायी किया गया। यह विनियमितीकरण नियमावली 2016 के तहत की गई थी। निदेशक (प्रशासन) की जांच रिपोर्ट में विनियमितीकरण गलत पाया गया।
निदेशक (प्रशासन) ने 79 कर्मियों को बर्खास्त करने की संस्तुति करते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी। इस मुद्दे पर शासन में मंथन हुआ। कई दौर की बैठकों के बाद नियमों के विपरीत नियुक्त होने वालों को बर्खास्त करने पर मुहर लगी। अपर निदेशक ने इन कर्मियों की सूची जारी करते हुए संबंधित जिले के मुख्य चिकित्साधिकारियों की बर्खास्तगी की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में अपर निदेशक (मलेरिया व वीबीडी) डॉ. एके चौधरी का कहना है कि उच्चाधिकारियों के निर्देश के तहत 79 कर्मियों की बर्खास्तगी की गई है।
कई अफसरों पर भी होगी कार्रवाई
जांच रिपोर्ट में तत्कालीन निदेशक (संचारी) एवं तत्कालीन महानिदेशक, अपर निदेशक मलेरिया, संयुक्त निदेशक मलेरिया, दो वरिष्ठ सहायकों को भी दोषी करार दिया गया है। हालांकि उस वक्त के निदेशक, महानिदेशक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जबकि अन्य कार्यरत हैं। ऐसे में कार्यरत अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।
इन जिलों में कार्यरत हैं कर्मी
आजमगढ़, कानपुर, फतेगपुर, गाजियाबाद, अयोध्या, सुल्तानपुर, जौनपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, अंबेडकर नगर, लखनऊ, बहराइच, बाराबंकी, हरदोई, गाजीपुर, मुरादाबाद, उन्नाव एवं मेरठ में कार्यरत हैं।
विनियमितीकरण नियमावली में इसका जिक्र
वर्ष 2023 में मामले की जांच हुई तो पता चला कि विनियमितीकरण नियमावली 2016 में उन्हें ही नियुक्ति दी जा सकती है, जो कर्मचारी वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2016 तक दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत रहे हों। जबकि इन कर्मियों की नौकरी बीच में छूट गई थी। ऐसे में इस नियुक्ति को फर्जी करार दिया गया।