नई दिल्ली : पर्सनल लोन की हर श्रेणी में फिक्स्ड ब्याज दर देना जरूरी, ब्याज दर बदलने का विकल्प देना होगा, भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय संस्थानों को जारी किया सवाल-जवाब का सेट
Lenders have to mandatorily offer fixed interest rate product in all equated installment based personal loan categories, according to RBI.
They should provide the option to borrowers to switch over to a fixed rate as per their Board approved policy at the time of reset of interest rates, per RBI’s FAQs (frequently asked questions) on the circular ‘Reset of Floating Interest Rate on EMI based Personal Loans’.
नई दिल्ली। बैंकों और वित्तीय संस्थानों को पर्सनल लोन की सभी श्रेणियों के मासिक किस्त में फिक्स्ड ब्याज दर पर कर्ज की सुविधा देनी होगी। यह नियम सभी तरह के पर्सनल लोन पर लागू होगा, चाहे भले ही ब्याज दर किसी बाहरी बेंचमार्क से या आंतरिक बेंचमार्क से जुड़ी हो। आरबीआई ने कहा, ऋणों की मंजूरी के समय ब्याज की वार्षिक प्रतिशत दर, जैसा लागू हो, लोन एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से देना जरूरी है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को जारी परिपत्र में कहा, बैंक या वित्तीय संस्थान जब भी और जिस तरह भी इसे कर रहे हों, ग्राहक को इसकी जानकारी देनी जरूरी है। कर्ज अवधि के दौरान, बाहरी बेंचमार्क दर के कारण ईएमआई/अवधि में किसी भी वृद्धि के बारे में ग्राहकों को सूचित करना चाहिए। तिमाही विवरण में न्यूनतम, अब तक प्राप्त मूलधन और व्याज, शेष ईएमआई की संख्या और ऋण की अवधि के लिए ब्याज की वार्षिक दर का खुलासा किया जाना चाहिए।
ब्याज दर बदलने का विकल्प देना होगा
आरबीआई के मुताबिक, पंजीकृत संस्थानों को व्याज दरों के रीसेट के समय कर्ज लेने वालों को अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार एक निश्चित दर पर बदलने का विकल्प प्रदान करना होगा। अगस्त 2023 में आरबीआई ने बैंकों को ईएमआई के जरिये ऋण का भुगतान करने वाले व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को एक निश्चित ब्याज दर प्रणाली या ऋण अवधि के विस्तार का विकल्प चुनने की अनुमति देने का निर्देश दिया था।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय बैंक ने रेपो दर कई बार में 2.50 फीसदी बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था। करीब दो साल से यह व्याज दर उसी स्तर पर स्थिर है। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में उधारकर्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। इससे उनकी लोन की अवधि बढ़ गई या फिर किस्त की रकम बढ़ गई।